मेडिकल प्रवेश परीक्षा के नतीजे घोषित करने को मिली सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी
सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल के एमबीबीएस, बीडीएस व पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाओं के नतीजे घोषित करने पर लगी रोक हटा दी है। कोर्ट के सोमवार के अंतरिम आदेश से मेडिकल पाठयक्रमों में प्रवेश की रुकी पड़ी प्रक्रिया फिर शुरू हो जाएगी। कोर्ट के आदेश से यह भी साफ हो गया है कि इस वर्ष सिर्फ राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा यानी नेशनल इलिजिबिलिटी इंट्रेंस टेस्ट [नीट] के जरिये प्रवेश लेने की अनिवार्यता नहीं होगी, हालांकि कोर्ट अपना अंतिम आदेश जुलाई में सुनाएग
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल के एमबीबीएस, बीडीएस व पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाओं के नतीजे घोषित करने पर लगी रोक हटा दी है। कोर्ट के सोमवार के अंतरिम आदेश से मेडिकल पाठयक्रमों में प्रवेश की रुकी पड़ी प्रक्रिया फिर शुरू हो जाएगी। कोर्ट के आदेश से यह भी साफ हो गया है कि इस वर्ष सिर्फ राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा यानी नेशनल इलिजिबिलिटी इंट्रेंस टेस्ट [नीट] के जरिये प्रवेश लेने की अनिवार्यता नहीं होगी, हालांकि कोर्ट अपना अंतिम आदेश जुलाई में सुनाएगा।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट की अनुमति से विभिन्न कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और नीट ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा करा ली थी लेकिन कोर्ट ने परीक्षा परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी थी। इसके कारण प्रवेश प्रक्रिया रुकी पड़ी थी, जबकि निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 30 मई तक मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएट और 31 अगस्त तक मेडिकल के ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी होनी है।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अपने गत 13 दिसंबर के आदेश में बदलाव करते हुए प्रवेश परीक्षा परिणाम घोषित करने पर लगी रोक हटा दी। कोर्ट ने कहा कि यह अंतरिम आदेश वे परीक्षा देकर प्रवेश की बाट जोह रहे छात्रों और अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों के हितों को ध्यान में रखते हुए दे रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि पक्षकारों ने उन्हें सूचित किया है कि अगर प्रवेश परीक्षा के परिणाम घोषित नहीं किए जाएंगे तो छात्रों का एक वर्ष खराब हो जाएगा वे इस शैक्षणिक सत्र में प्रवेश नहीं ले पाएंगे। इसके अलावा अस्पतालों में डाक्टरों की भी कमी हो जाएगी क्योंकि मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के छात्रों को ही अस्पतालों में मरीजों की देखभाल के लिए भेजा जाता है।
सुप्रीम कोर्ट में 115 याचिकाएं लंबित हैं जिनमें सिर्फ नीट के जरिये ही मेडिकल के ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट पाठक्रमों में प्रवेश देने की 2010 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। ये याचिकाएं अल्पसंख्यक संस्थाओं के गैर सहायता प्राप्त मेडिकल कॉलेज, निजी मेडिकल कॉलेज, डीम्ड विश्वविद्यालय व कुछ राज्यों की ओर से दाखिल की गई हैं।
- जिन कॉलेजों, विश्वविद्यालयों या राज्यों ने प्रवेश परीक्षा करा ली है वे उसके नतीजे घोषित कर प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट
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