प्रवेश में इंस्टीट्यूशनल प्रिफरेंस पर सुप्रीमकोर्ट ने जारी किया नोटिस
राज्य के कालेजों से एमबीबीएस करने वालों को पीजी प्रवेश में अतिरिक्त अंक देने के नियम को सुप्रीम कोर्ट में दी गई है चुनौती
माला दीक्षित, नई दिल्ली। हरियाणा में मेडिकल के पीजी कोर्स में प्रवेश में राज्य के मेडिकल कालेजों से एमबीबीएस करने वालों को अतिरिक्त अंक दिये जाने (इंस्टीट्यूशनल प्रिफरेंस) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने हरियाणा सरकार और एमसीआई को नोटिस जारी किया है। कोर्ट इस मामले पर मंगलवार को फिर सुनवाई करेगा। बाहर के कालेजों से एमबीबीएस करने वाले कुछ डाक्टरों ने याचिका दाखिल कर नियम को चुनौती दी है।
शुक्रवार को डाक्टरों की वकील एश्वर्या भाटी ने न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव व न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ से मामले पर विचार करने का आग्रह करते हुए कहा कि इंस्टीट्यूशनल प्रिफरेंस में राज्यों के मेडिकल कालेजों से एमबीबीएस करने वाले छात्रों को पीजी में प्रवेश में अतिरिक्त अंक दिये जाते हैं। नीट परीक्षा कुल 1500 अंकों की होती है जिसमें से 83.33 अंक इंस्टीट्यूशनल प्रिफरेंस के दे दिये जाते हैं। ऐसे में बाहर के छात्र प्रवेश परीक्षा में अच्छी मेरिट लाने के बावजूद प्रवेश नहीं ले पाएंगे।
भाटी ने कहा कि इंस्टीट्यूश्नल प्रिफरेंस एमसीआई रेगुलेशन 9 का उल्लंघन करता है। इस रेगुलेशन के मुताबिक प्रवेश परीक्षा के अलावा सिर्फ दूरस्थ और मुश्किल क्षेत्रों में काम करने वाले डाक्टरों को प्रोत्साहन अंक दिये जा सकते हैं और किसी तरह के अतिरिक्त अंक नहीं दिये जा सकते। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद याचिका में प्रतिपक्षी बनाई गई हरियाणा सरकार और एमसीआई आदि को नोटिस जारी किया और मामले पर मंगलवार को सुनवाई करने की बात कही। भाटी ने जब कोर्ट से अंतरिम आदेश की मांग की तो कोर्ट ने कहा कि दूसरे पक्ष का जवाब आने के बाद ही मंगलवार को सुनवाई की जाएगी।
यह भी पढ़ेंः जानें, क्यों देश के सबसे लंबे ब्रिज का नाम रखा गया भूपेन हजारिका सेतु