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बिलकिस बानो गैंगरेप: SC ने गुजरात सरकार से कहा- 6 सप्ताह में बताएं पुलिसकर्मियों पर क्या कार्रवाई हुई

एक विशेष अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा दी थी।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 24 Nov 2017 02:46 PM (IST)Updated: Fri, 24 Nov 2017 02:46 PM (IST)
बिलकिस बानो गैंगरेप: SC ने गुजरात सरकार से कहा- 6 सप्ताह में बताएं पुलिसकर्मियों पर क्या कार्रवाई हुई
बिलकिस बानो गैंगरेप: SC ने गुजरात सरकार से कहा- 6 सप्ताह में बताएं पुलिसकर्मियों पर क्या कार्रवाई हुई

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को यह बताने के लिए आज 6 सप्ताह का समय दिया कि वर्ष 2002 के बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में दोषी ठहराये गये पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी है या नहीं?

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मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचूड की एक पीठ ने राज्य सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुशार मेहता के उस आग्रह पर विचार किया कि मामले में संबंधित अधिकारियों को निर्देश के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। पीठ ने मामले की सुनवाई जनवरी के पहले सप्ताह में निर्धारित की है। पीठ ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि बिलकिस बानो को दिये जाने वाले मुआवजे को बढ़ाये जाने संबंधी एक अलग याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह होगी।

बॉम्‍बे हाइकोर्ट ने सामूहिक बलात्कार मामले में चार मई को 12 लोगों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था, जबकि पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों समेत सात लोगों को बरी किये जाने के फैसले को खारिज कर दिया था। बिलकिस बानो से मार्च 2002 में सामूहिक बलात्कार किया गया और उस समय वह गर्भवती थी। उसे गोधरा ट्रेन जलाए जाने की घटना के बाद के घटनाक्रम में अपने परिवार के सात सदस्यों को खोना पड़ा था।

पीठ ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 218 के तहत अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने और सबूतों से छेड़छाड़ (धारा 201) पर पांच पुलिसकर्मियों और दो डॉक्टरों समेत सात लोगों को दोषी ठहराया था। दोषी पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों में नरपत सिंह, इदरिस अब्दुल सैयद, बीकाभाई पटेल, रामसिंह भाभोर, सोमभाई गोरी, अरूण कुमार प्रसाद (डॉक्टर) और संगीता कुमार प्रसाद (डॉक्टर) शामिल हैं।

एक विशेष अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा दी थी। इसके बाद इन लोगों ने खुद को दोषी ठहराये जाने को चुनौती देते हुए बम्बई उच्च न्यायालय का रूख किया और निचली अदालत के फैसले को खारिज किये जाने का आग्रह किया। सीबीआई ने भी उच्च न्यायालय में एक अपील दायर कर इस आधार पर तीन दोषियों को मौत की सजा दिये जाने का आग्रह किया कि वे इस मामले में मुख्य अपराधी हैं।

अभियोजन पक्ष के अनुसार तीन मार्च, 2002 को अहमदाबाद के निकट रंधिकपुर गांव में बिलकिस बानो के परिवार पर एक भीड़ ने हमला किया था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी। अहमदाबाद में मामले की सुनवाई शुरू हुई थी। हालांकि बिलकिस बानो के गवाहों को नुकसान पहुंचाये जाने और सबूतों से छेड़छाड़ किये जाने की आशंकाएं जताये जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अगस्त 2004 में मुम्बई स्थानांतरित कर दिया था।

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