सोनीपत किसानों को सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाया जमीन का मुआवजा
कोर्ट ने तीनों सेल डीड में दी गई रकम का औसत निकालते हुए उसमें से एक तिहाई हिस्सा भूमि विकास का काट कर अधिग्रहित जमीन की कीमत तय की।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। सोनीपत के रेवली और शाहपुर तुर्क गांव के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने करीब 8 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा बढ़ाया है।
ये मामला सोनीपत के रेवली और शाहपुर तुर्क गांव की 108.44 एकड़ जमीन अधिग्रहित किये जाने का है। हरियाणा सरकार ने वर्ष 2006 में रिहायशी और व्यावसायिक योजना के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था। तय मुआवजे से असंतुष्ट भूस्वामी किसान सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा व न्यायमूर्ति एमएम शांतनगौडर की पीठ ने गत बुधवार को किसानों के वकील ध्रुव मेहता और जसबीर सिंह मलिक की दलीलें सुनने और उनकी ओर से अधिग्रहित जमीन से लगी हुई जमीनों की पेश की गई सेल डीड देखने के बाद ये आदेश जारी किये। हालांकि हरियाणा सरकार के वकील विश्वपाल सिंह ने मुआवजा बढ़ाने की मांग का विरोध किया। राज्य सरकार का कहना था कि पहले ही रिफरेंस कोर्ट मुआवजा बढ़ा चुका है।
किसानों के वकील जसबीर सिंह मलिक ने कोर्ट के सामने तीन सेल डीडें पेश कीं। इनमें से एक सेल डीड 1,0468920 रुपये प्रति एकड़, दूसरी 10446796 प्रति एकड़ और तीसरी 6500000 रुपये प्रति एकड़ की दर की थी। उनका कहना था कि उनकी जमीन के आसपास की जमीनों की कीमत इतनी है ऐसे में उनकी जमीन का भी मुआवजा बढ़ाया जाना चाहिए।
कोर्ट ने तीनों सेल डीड में दी गई रकम का औसत निकालते हुए उसमें से एक तिहाई हिस्सा भूमि विकास का काट कर अधिग्रहित जमीन की कीमत तय की। कोर्ट ने जमीन की कीमत 60 लाख रुपये प्रति एकड़ से कुछ ज्यादा तय की है। पहले किसानों को 5225000 (सवा 52 लाख) प्रति एकड़ की दर से मुआवजा मिला था। ऐसे मे उनका कुल मुआवजा करीब 8 लाख रुपये प्रति एकड़ बढ़ गया है।
क्या था मामला
हरियाणा सरकार ने 15 जून 2006 को धारा 4 में जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना निकाली। भूमि अधिग्रहण कलेक्टर ने 45 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन का मुआवजा तय किया। असंतुष्ट भूस्वामी मुआवजा बढ़वाने के लिए रिफरेंस कोर्ट गए। रिफरेंस कोर्ट ने मुआवजा बढ़ा कर 5225000 प्रति एकड़ कर दिया। लेकिन किसान इससे संतुष्ट नहीं हुए वे हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने जब मुआवजा नहीं बढ़ाया तो किसान सुप्रीम कोर्ट आए थे।
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