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पहली बार सुप्रीम कोर्ट में वकील से सीधे महिला जज बनेंगी इंदू मल्होत्रा

इंदू मल्होत्रा पहली महिला वकील हैं जिन्हे सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने की सिफारिश की गई है।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 11 Jan 2018 09:17 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jan 2018 10:13 PM (IST)
पहली बार सुप्रीम कोर्ट में वकील से सीधे महिला जज बनेंगी इंदू मल्होत्रा
पहली बार सुप्रीम कोर्ट में वकील से सीधे महिला जज बनेंगी इंदू मल्होत्रा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने वरिष्ठ वकील इंदू मल्होत्रा और उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है। इंदू मल्होत्रा पहली महिला वकील हैं जिन्हे सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने की सिफारिश की गई है।

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सूत्र बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सरकार से इन दोनों ही लोगों को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। इंदू मल्होत्रा को 2007 में वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया गया था। वे सुप्रीम कोर्ट में अभी तक नियुक्त हुईं सातवीं महिला जज होंगी। अभी फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में आर. भानुमति अकेली महिला जज हैं। स्वतंत्रता के बाद से अभी तक सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ छह महिला जज हुई हैं।

जस्टिस केएम जोसेफ फिलहाल उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज हैं। वे उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का आदेश रद करने वाली पीठ में शामिल थे। उसके बाद उनके स्थानांतरण की चर्चाएं रहीं लेकिन उत्तराखंड से उनका स्थानांतरण नहीं हुआ।

कोलेजियम ने इसके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज जस्टिस शिव कुमार सिंह को स्थाई करने की सिफारिश की है। हालांकि कोलेजियम के समक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के कुल 11 अतिरिक्त जजों को स्थाई करने का प्रस्ताव था लेकिन शिव कुमार सिंह का कार्यकाल समाप्त हो रहा था इसलिए फिलहाल उनके बारे में सिफारिश की गई है। बाकी प्रस्तावों पर कोलीजियम बाद में विचार करेगी।

सुप्रीम कोर्ट में महिला जज

सुप्रीम कोर्ट 1950 में बना उसके 39 साल बाद 1989 में एम फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज नियुक्त हुईं। फातिमा बीवी केरल हाईकोर्ट से सेवानिवृत होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुईं थी। वे 29 अप्रैल 1992 को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत हुईं। बाद में वे तमिलनाडु की राज्यपाल भी नियुक्त हुईं।

सुप्रीम कोर्ट में दूसरी महिला जज सुजाता वी मनोहर हुईं जिन्होंने जज के रूप में अपने कैरियर की शुरूआत बाम्बे हाईकोर्ट जज से की थी। वे सुप्रीम कोर्ट में 8 नवंबर 1994 से 27 अगस्त 1999 तक न्यायाधीश रहीं। जस्टिस सुजाता मनोहर के सेवानिवृत होने के करीब पांच महीने बाद जस्टिस रूमा पाल सुप्रीमकोर्ट की जज बनीं। जस्टिस पाल सबसे लंबे समय तक रहीं। वे 28 जनवरी 2000 से लेकर 2 जून 2006 तक सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश रहीं। उनके बाद चार साल तक सुप्रीम कोर्ट मे कोई महिला जज नहीं रही।

चार साल बाद झारखंड हाईकोर्ट की तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश नियुक्त हुईं। जस्टिस मिश्रा 30 अप्रैल 2010 को सुप्रीम कोर्ट जज बनी और 27 अप्रैल 2014 को सेवानिवृत हुईं। इसी दौरान जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई सुप्रीम कोर्ट की जज बनीं। जस्टिस देसाई 13 सितंबर 2011 से लेकर 29 अक्टूबर 2014 तक सुप्रीम कोर्ट जज रहीं। इस दौरान पहली बार सुप्रीम कोर्ट में एक साथ दो महिला जज रहीं।

जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की सेवानिवृति के करीब दो महीने पहले सुप्रीम कोर्ट की वर्तमान महिला जज आर. भानुमति सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त हुईं। जस्टिस भानुमति 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश नियुक्त हुईं वे 19 जुलाई 2020 को सेवानिवृत होंगी। सुप्रीम कोर्ट के 67 सालों के इतिहास में सिर्फ दो बार एक साथ दो महिला जज रहीं। 

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