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राज्यों और शराब विक्रेताओं की अदालत से गुहार, आदेश में हो संशोधन

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को राष्ट्रीय राजमार्गों के आस पास शराबबंदी से संबंधित याचिका पर सुनवाई होगी।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 07:53 AM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 09:51 PM (IST)
राज्यों और शराब विक्रेताओं की अदालत से गुहार,  आदेश में हो संशोधन
राज्यों और शराब विक्रेताओं की अदालत से गुहार, आदेश में हो संशोधन
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय और राज्य हाईवे के 500 मीटर की परिधि में शराब की दुकानों पर रोक लागू होने में सिर्फ एक दिन बाकी है। ज्यादातर राज्य इस आदेश पर रोक लगवाने के लिए सुप्रीमकोर्ट की शरण में हैं। बुधवार को राज्यों और शराब विक्रेताओं ने एक सुर में सुप्रीमकोर्ट से 31 मार्च की तिथि को टालने का अनुरोध करते हुए आदेश में बदलाव की गुहार लगाई। कोर्ट ने एक घंटे तक बहस सुनने के बाद गुरुवार को आगे सुनवाई करने की बात कही।मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ कर रही है।
बुधवार को राज्यों ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट अनुच्छेद 142 के अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए उस मामले में आदेश नहीं दे सकता जिस बारे में पहले से कानून मौजूद है। शराब की दुकानें कहां और कैसे होंगी इस बारे में नियम कानून पहले से मौजूद हैं। कोर्ट ने पूरे देश के लिए एक से आदेश दे दिये हैं जिसके मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य हाईवे पर 500 मीटर की परिधि पर शराब की दुकानों की मनाही की गई है। ये आदेश देते समय कोर्ट ने सभी राज्यों को सुना भी नहीं क्योंकि उस समय कोर्ट के सामने सिर्फ पंजाब हरियाणा और तमिलनाडु ही था।
हिमाचल अरुणाचल और सिक्किम का कहना था कि उनके राज्य पहाड़ी इलाके वाले हैं वहां अगर राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गो से 500 मीटर की परिधि में शराब की दुकाने हटा दी गईं तो वहां शराब की दुकाने ही नहीं रहेंगी। राज्यों का ये भी कहना था कि इससे राजस्व की भारी हानी होगी। वैसे भी स्कूल अस्पताल और धार्मिक स्थलों के आसपास शराब की दुकानों की मनाही है। रिहायशी इलाकों में भी ऐसी दुकाने नहीं चल सकतीं ऐसे में बहुत कम इलाके रह गये हैं जहां पर ये दुकाने चलाई जाएं।
तमिलनाडु और तेलंगाना राज्य की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर रोक तो ठीक है लेकिन कोर्ट को राज्य राजमार्ग पर रोक के आदेश पर फिर विचार करना चाहिये। ये कोई गैर कानूनी व्यवसाय नही है ये व्यवसाय कानूनी है।कुछ होटल और रेस्टोरेंट मालिक भी सुप्रीमकोर्ट पहुंचे थे। जिनका कहना था कि कोर्ट आदेश को स्पष्ट करे क्योंकि कुछ राज्य सरकारें हाईवे पर स्थिति रेस्टोरेंट और होटलों को भी शराब परोसने का लाइसेंस नहीं दे रहीं हैं जबकि कोर्ट का आदेश सिर्फ दुकानों के लाइलेंस और बिक्री के बारे में है।
शराब की दुकानेें के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल करने वाले मूल पक्षकार ने कोर्ट से कहा कि पंजाब ने तो आदेश लागू कर दिया है लेकिन चंडीगड़ प्रशासन ने राज्य राजमार्गो का नाम ही बदल दिया ताकि आदेश से वे प्रभावित न हों यही रवैया दूसरे राज्य भी अपना सकतें हैं।
पीठ ने कहा कि मामला महत्वपूर्ण है वो इस मसले पर कल भी सुनवाई करेगा और उसके बाद ही कोई आदेश देगा। लेकिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओँ का पहलू भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। जिस घर का कमाऊ व्यक्ति चला जाता है या गंभीर चोट का शिकार होता है उसका पूरा परिवार परेशानी में आ जाता है। पीठ ने कहा कि पक्षकार कोई ऐसा विकल्प बतायें जिसमें राजस्व की भी हानि न हो और दुर्घटनाओँ पर भी रोक लगे।

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