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SC ने कहा- न्यूनतम निश्चित निकासी सीमा क्यों नहीं तय कर देती सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि वह बताएं, उन्होंने नोटबंदी पर नीति कब बनाई थी और क्या यह नीति पूरी तरीके से सीक्रेट थी?

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 09 Dec 2016 02:07 PM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2016 07:34 PM (IST)
SC ने कहा- न्यूनतम निश्चित निकासी सीमा क्यों नहीं तय कर देती सरकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बैंकों के बाहर लंबी लाइन और नो कैश का जवाब पाकर या 24000 की जगह 2 से 5 हजार रुपये लेकर लौट रहे लोगों की परेशानियों को देखते हुए सुप्रीमकोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह बैंक से निकासी की न्यूनतम निश्चित सीमा क्यों नहीं तय कर देती। कोई ऐसी निश्चित राशि होनी चाहिये जिसका भुगतान करने से बैंक मना न कर सके।

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कोर्ट ने सरकार से बुधवार तक इस पर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बैंकों में पर्याप्त नगदी न होने से लोगों को हो रही परेशानी पर चिंता जताई। सरकार से दो बिन्दुओं पर जवाब मांगा है। जिसमें न्यूनतम निश्चित निकासी राशि तय करने के अलावा जिला सहकारी बैंकों को कुछ शर्तो के साथ रुपये जमा करने की इजाजत देने का तंत्र बनाए पर विचार को कहा है।

सरकार को नोट बंद करने का अधिकार है कि नहीं और नोट बंदी की अधिसूचना कहां तक कानूनी और वैध मानी जाएगी इस पर विस्तृत विचार के लिए कोर्ट ने नौ सवाल तय किये हैं। लेकिन कानूनी पहलू खंगालने से पहले लोगों की मौजूदा परेशानी पर बुधवार को सुनवाई होगी। शुक्रवार को कोर्ट ने विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाने की केंद्र सरकार की मांग एक बार फिर यह कहते हुए ठुकरा दी कि इस पर भी उसी दिन विचार होगा।

शुक्रवार को कपिल सिब्बल ने कहा कि बैंकों में लंबी लाइन है एटीएम में कैश नहीं है लोग बहुत परेशान हैं। उनका समर्थन करते हुए अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने कहा कि उन्हें 24000 की पहली किस्त निकालने में 3 दिन लगे। सरकार के पास पैसे नहीं है। करीब 12 लाख करोड़ रुपये पुराने जमा हुए हैं और सिर्फ 4 लाख करोड़ नये आये हैं। जितने नोट चाहिये उतने छपने में सात महीने लगेंगे। पैसे निकालने पर राशनिंग है। 24 हजार तो क्या लोगों को 10 हजार भी नहीं मिल रहे। कम से कम कोई न्यूनतम सीमा हो जिसे बैंक देने से न नकार सके। किस आधार पर तय की 24000 की सीमा इस पर मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से पूछा कि एक सप्ताह में 24000 रुपये निकालने की सीमा किस आधार पर तय की गई थी।

योजना लागू करने से पहले हिसाब लगाया गया होगा कि कितना पैसा वापस आएगा कितना देना होगा। कैसे स्थिति से निपटा जाएगा। सरकार को अपना वचन तो निभाना चाहिये। या फिर निकासी की कोई न्यूनतम सीमा तय कर दी जाए। रोहतगी ने निर्देश लेकर सूचित करने की बात कही।

योजना का क्या उद्देश्य है

कोर्ट ने योजना का उद्देश्य पूछा। जिस पर रोहतगी ने कहा कि काला धन बाहर निकालने, आतंकवाद पर लगाम और नकली नोट रोकने के लिए नोट बंदी की गई। लोगों की परेशानी दूर करने के लिए लगातार छूट दी जा रही है। गुरूवार को भी डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के प्रोत्साहन घोषित किये गये हैं। लोगों को अभी कुछ परेशानी हो रही है। लेकिन बैंक में लाइने कम हुई हैं। 15 दिन में सब ठीक हो जाएगा।

कोई नहीं मरा नोट बंदी से

नोट बंदी से देश भर में हुई 91 मौतों की दलील नकारते हुए रोहतगी ने कहा कि एक भी मौत नोट बंदी के कारण नहीं हुई।

जिला सहकारी बैंकों को नहीं दी जा सकती छूट

सरकार ने साफ कह दिया कि वह जिला सहकारी बैंकों को छूट नहीं दे सकती। इन बैंको के ग्राहकों की केवाईसी नहीं जांची जा सकती। ज्यादातर ग्राहक सहकारी समितियां हैं जिनके हजारों सदस्य हैं।

कोर्ट ने तय किये सवाल

1- क्या नोट बंदी की अधिसूचना आरबीआइ कानून की धारा 26(2) का उल्लंघन है
2- क्या इस अधिसूचना से अनुच्छेद 300ए (संपत्ति का अधिकार) उल्लंघन होता है
3- क्या इससे अनुच्छेद 14 व 19 के मौलिक अधिकार का हनन होता है
4- निकासी पर पाबंदी से अनुच्छेद 19(1)(जी) का उल्लंघन होता है क्या
5- अधिसूचना को लागू करने की प्रक्रिया मनमानी और मौलिक अधिकारों का हनन करती है
6- जिला सहकारी बैंकों पर रोक लगाना क्या भेदभाव माना जाएगा
7- क्या आरबीआई कानून की धारा 26(2) वैधानिक है
8- राजनैतिक पार्टी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हो सकती है
9- क्या नोट बंदी की अधिसूचना आरबीआई कानून की धारा 7,26(2),17,23, 24,29, और 42 का उल्लंघन करती है।

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