सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, ताजमहल को मिटाना चाहते हैं क्या
ये बेशकीमती धरोहर पहले ही दम तोड़ने की कगार पर है। पेड़ काटने के बाद तो हालात बदतर हो जाएंगे। अदालत मामले की सुनवाई अगले माह करेगी।
नई दिल्ली, प्रेट्र: ताजमहल के इर्द-गिर्द 80 किमी दायरे में मौजूद 450 पेड़ काटने की अनुमति को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का पारा आसमान पर जा पहुंचा। अदालत ने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या ताजमहल को खत्म करने का इरादा है। अगर ऐसा है तो इसके लिए अलग से याचिका दायर की जाए।
जस्टिस मदन बी लोकुर व जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच के तेवर उस समय तल्ख हुए जब उनके सामने 450 पेड़ काटने की अनुमति देने को लेकर याचिका सुनवाई के लिए आई। सरकार का कहना था कि दिल्ली से मथुरा तक रेल यातायात को दुरुस्त करने की जरूरत है। इसके लिए मथुरा से दिल्ली तक अतिरिक्त रेल लाइन बिछाने की योजना पर सरकार काम कर रही है। सरकार ने लगभग 450 पेड़ चिन्हित किए जिन्हें काटने के बाद ही रेल लाइन बिछाने का काम शुरू हो सकता है।
बेंच ने तल्ख रवैये में केंद्र से कहा कि आपने ताजमहल की तस्वीर देखी है। अगर नहीं तो इंटरनेट पर एक बार जरूर देखें। उनका कहना था कि ये बेशकीमती धरोहर पहले ही दम तोड़ने की कगार पर है। पेड़ काटने के बाद तो हालात बदतर हो जाएंगे। अदालत मामले की सुनवाई अगले माह करेगी।
उल्लेखनीय है कि ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में कराया था। यूनेस्को ने इस अनूठी कलाकृति को विश्व की धरोहरों में शामिल किया है। पर्यावरण विद एमसी मेहता ने इसके संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना है कि गैस व अन्य प्रदूषित चीजों से ताज दम तोड़ रहा है।
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