सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, उपहार था कोहिनूर कैसे करें दावा
ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में जड़े भारत के बेशकीमती हीरे पर दावा कैसे किया जाए क्योंकि ये न तो ये चोरी हुआ था और न ही अंग्रेज इसे जबरदस्ती छीन कर ले गए थे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में जड़े भारत के बेशकीमती हीरे पर दावा कैसे किया जाए क्योंकि ये न तो ये चोरी हुआ था और न ही अंग्रेज इसे जबरदस्ती छीन कर ले गए थे। भारत सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में कहा कि कोहिनूर हीरा न तो चोरी हुआ था और न ही अंग्रेजों ने इसे जबरदस्ती छीना था बल्कि पंजाब के शासक ने ईस्ट इंडिया कंपनी को ये उपहार में दिया था। सरकार की ओर से पेश सालिसीटर जनरल ने सोमवार को कोहिनूर हीरे की वापसी मामले में कोर्ट को ये जानकारी दी।
तस्वीरों में जानें ऐतिहासिक 'कोहिनूर' का दिलचस्प सफर
सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि ये नहीं कहा जा सकता कि कोहिनूर जबरदस्ती छीना गया था या फिर ये चोरी हुआ था। कोहिनूर हीरा पंजाब के शासक रंजीत कुमार के उत्तराधिकारी ने ईस्ट इंडिया कंपनी को उपहार में दिया था। रंजीत कुमार ने सरकारी रिकार्ड के एक पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि इसे लूट में लिया नहीं माना गया है उसे उपहार माना गया है।तस्वीरों में जानें एतिहासिक ‘कोहिनूर हीरे’ का दिलचस्प सफर
रंजीत सिंह के उत्तराधिकारी ने सिख वार में मदद करने के एवज में 1849 में कोहिनूर हीरा मुआवजे के तौर पर ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया था। इस पर मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर व न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने कहा कि क्या भारत सरकार दुनिया के बेशकीमती हीरे कोहिनूर पर अपना दावा रखती है। इस पर रंजीत कुमार ने कहा कि समय समय पर इसे वापस लाने की मांग उठी है। लेकिन अगर इस तरह हम अपने खजाने का बाहर के देशों से दावा करेंगे तो कल को अन्य देश भी ऐसा करेंगे।
सरकार की ओर से दी गई इन दलीलों पर पीठ ने कहा कि क्या आप कहना चाहते हैैं कि कोर्ट ये याचिका खारिज कर दे। कोर्ट ने कहा कि वे याचिका खारिज नहीं करना चाहते। याचिका खारिज होने से भविष्य में सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। क्योंकि ऐसा होने से भविष्य में दावा नहीं हो सकेगा। इंग्लैैंड कहेगा कि आपका सुप्रीमकोर्ट खुद दावा खारिज कर चुका है। कोर्ट की इशारा समझते हुए सालिसीटर जनरल ने कहा कि ये संस्कृति मंत्रालय का पक्ष है। विदेश मंत्रालय का पक्ष आना बाकी है। जिस पर पीठ याचिका लंबित रखते हुए सरकार को अपना रुख साफ करने और हलफनामा दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय दे दिया।
गैर सरकारी संगठन ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर कोहिनूर हीरा वापस लाने की मांग की है। याचिकाकर्ता के वकील नफीस सिद्दीकी ने सोमवार को कोहिनूर की वापसी की मांग करते हुए कहा कि तेरहवीं चौदहवीं शताब्दी में कोहिनूर हीरा गोदावरी के तट से खुदाई में निकला था। इसके बाद ये हीरा खिलजी वंश के पास रहा। फिर नादिर शाह इसे ले गया। फिर दुर्रानी के पास गया।
इसके बाद कोहिनूर महाराजा रंजीत सिंह के पास आया जहां से 1849 में लार्ड डलहौजी को मुआवजे के तौर पर दिया गया। अगले साल 1850 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे ब्रिटेन की महारानी को दे दिया तब से ये वहीं है। याचिकाकर्ता ने कोहिनूर के अलावा टीपू सुल्तान की अंगूठी झांसी की रानी का सामान आदि भी वापस लाने की मांग की है।
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