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जजों की परीक्षा मामले में सुझाव स्वीकार करे हाई कोर्ट रजिस्ट्री अॉफिस

यह सुझाव एक एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआइएल) की तरफ से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दिए हैं।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Tue, 26 Jul 2016 07:47 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2016 07:56 PM (IST)
जजों की परीक्षा मामले में सुझाव स्वीकार करे हाई कोर्ट रजिस्ट्री अॉफिस

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्री ऑफिस को निर्देश दिया है कि वह भविष्य में होने वाली न्यायिक परीक्षाओं में पारदर्शिता बरतने के लिए सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिका उपलब्ध कराने संबंधी सुझावों को स्वीकार करे।

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यह सुझाव एक एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआइएल) की तरफ से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दिए हैं। जस्टिस दीपक मिश्र और जस्टिस आरएफ नरीमन की दो सदस्यीय पीठ ने हाई कोर्ट रजिस्ट्री की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह से कहा कि परीक्षा परिणाम में सफल अभ्यर्थियों का रोल नंबर बताने के साथ ही उनका नाम भी उजागर किया जाना चाहिए। एएसजी ने इसका विरोध जताते हुए कहा कि किसी सफल अभ्यर्थी का नाम सार्वजनिक करने से हम क्या हासिल कर लेंगे?

अभी यह मामला एक जज से जुड़ा हुआ है जिसमें आरोप लगाए गए हैं। हालांकि पीठ ने उनका यह तर्क खारिज कर दिया। वर्ष 2014 में हुई न्यायिक सेवा परीक्षा में उत्तर पुस्तिका के त्रुटिपूर्ण मूल्यांकन से संबंधित कई याचिकाओं को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ओएमआर एंसर शीट को पेंसिल की बजाय बाल पेन से भरा जाना चाहिए। पीठ ने यह भी कहा कि अभ्यर्थियों को वर्तमान परीक्षा प्रणाली में पूरा विश्र्वास रखना चाहिए क्योंकि यह सभ्य समाज का एक नमूना है।

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