बनारस से इतर भी कौमी एकता दल का समर्थन दांव
कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को समर्थन देकर कौमी एकता दल के नेता अफजाल अंसारी ने बनारस से इतर भी दांव खेला है। अपने इस राजनीतिक कदम से अंसारी बंधु पूर्वाचल में जहां अल्पसंख्यकों की नाराजगी मोल लेने से बच गए, वहीं दूसरी सीटों पर भूमिहार मतदाताओं को रिझाने के लिए पासा फेंका है। हालांकि पूर्वाचल में यह समझौत
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को समर्थन देकर कौमी एकता दल के नेता अफजाल अंसारी ने बनारस से इतर भी दांव खेला है। अपने इस राजनीतिक कदम से अंसारी बंधु पूर्वाचल में जहां अल्पसंख्यकों की नाराजगी मोल लेने से बच गए, वहीं दूसरी सीटों पर भूमिहार मतदाताओं को रिझाने के लिए पासा फेंका है। हालांकि पूर्वाचल में यह समझौता लोगों को पचाए नहीं पच रहा है। इसे माफियाओं के बीच के समझौते के रूप में भी देखा जा रहा है, जिससे भूमिहारों के बिदकने का डर है।
बनारस से भाजपा के पीएम प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के नामांकन से यहां का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। पिछले चुनाव में भाजपा के मुरली मनोहर जोशी से मात्र 17 हजार मतों से मात खाने वाले मुख्तार अंसारी ने इस बार भी मोदी से टक्कर लेने का एलान किया था। लेकिन पूर्वाचल के ज्यादातर अल्पसंख्यक संगठनों को आशंका थी कि मुख्तार के चुनाव लड़ जाने से अल्पसंख्यक मतों का विभाजन हो जाएगा। इन संगठनों के आग्रह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से वार्ता के बाद अंसारी बंधुओं ने अपना फैसला वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।
दरअसल, बनारस में नाक की लड़ाई लड़ने के बजाय उन्होंने पूर्वाचल में अपने एकता मंच (गठबंधन) को मजबूती से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। पूर्वाचल की ज्यादातर सीटों पर मुस्लिम मतों की संख्या डेढ़ से तीन लाख तक है।
पूर्वाचल में सक्रिय स्थानीय पार्टियां कौमी एकता दल, भारतीय समाज पार्टी, राष्ट्रीय परिवर्तन दल और फूलन सेना समेत आधा दर्जन ने मिलकर एकता मंच बनाया है। मंच ने पूर्वाचल की 16 संसदीय सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतारे हैं। इनमें घोसी से मुख्तार अंसारी और बलिया से एकता मंच के संयोजक अफजाल अंसारी चुनाव लड़ रहे हैं। इन दोनों संसदीय क्षेत्रों में भूमिहार मतदाताओं की अच्छी संख्या है। अंसारी बंधुओं को उम्मीद है बनारस में कांग्रेस के अजय राय को समर्थन देने का फायदा उन्हें जरूर मिलेगा। साथ ही अजय राय और मुख्तार अंसारी के बीच की पुरानी दुश्मनी को खत्म करने में मदद मिलेगी।
कौमी एकता दल के सैदपुर शहरी अध्यक्ष जलालुद्दीन ने बताया कि पार्टी नेतृत्व के फैसले से समूचे पूर्वाचल में लाभ मिलेगा। बनारस से मुख्तार के हट जाने से मोदी की मुश्किलें बढ़नी तय है। लेकिन इसके विपरीत बनारस के लोगों का मानना है कि यह माफियाओं के बीच का समझौता है। भाजपा के पूर्व विधायक कृष्णानंद राय और कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या में मुख्तार अंसारी आरोपी हैं।