नंगे पैर दौड़ी जूते सिलने वाले की बेटी, जीता स्वर्ण पदक
जज्बा हो तो किसी भी तरह का अभाव कामयाबी हासिल करने से नहीं रोक सकता...मुंबई की सयाली माहिशुने की जिंदगी यही संदेश देती है। 14 साल की सयाली के पिता जूते सिलकर परिवार का पेट पालते हैं।
मुंबई। जज्बा हो तो किसी भी तरह का अभाव कामयाबी हासिल करने से नहीं रोक सकता...मुंबई की सयाली माहिशुने की जिंदगी यही संदेश देती है। 14 साल की सयाली के पिता जूते सिलकर परिवार का पेट पालते हैं।
उनकी बेटी ने जब इंटरस्कूल एथलिट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया तो उसके पैरों मे जूते नहीं थे। वह नंगे पैर दौड़ी और स्वर्ण पदक जीता। सयाली के पिता मंगेश दादर (ईस्ट) में सड़क किनारे बैठकर जूते सिलते हैं। सोमवार को उनके लिए सामान्य दिन था। सुबह से शाम तक काम। शाम को बेटी की कामयाबी की खबर आई, तो उनकी आंखों में चमक आ गई।
सयाली ने अंडर-17 स्पर्धा में 3000 मीटर दौड़कर स्वर्ण पदक हासिल किया। मंगेश ने मिड डे को बताया, मुुझे पता है मेरी बेटी इस प्रतियोगिता में स्कूल का प्रतिनिधित्व कर रही है। मैं भी उसे देखना चाहता था, लेकिन जा नहीं सका, क्योंकि यहां बैठकर परिवार चलाने लायक कमाई करना ज्यादा जरूरी है।
46 वर्षीय मंगेश सुबह से शाम तक काम करते हैं और 3000 हजार से 10,000 हजार रुपए महीना कमाते हैं। उनकी यह कमाई घर खर्च पूरा नहीं कर पाती है। यही कारण है कि बेटी को जूते भी नहीं दिला पाए।
बकौल मंगेश, मैं जो कुछ कमाता हूं, दोनों बेटियों की पढ़ाई पर खर्च हो जाता है। बड़ी बेटी मयूरी (17) आईटी में डिप्लोमा कर रही है। अब सयाली ने मेरा नाम रोशन किया है।