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लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश बर्खास्त

सैन्य अदालत ने लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश को सुकना घोटाले का दोषी ठहराते हुए उनकी बर्खास्तगी के आदेश दिए हैं। अवधेश प्रकाश के खिलाफ चार में से तीन आरोप सही पाए गए। एक आरोप में उन्हें संदेह का लाभ दे दिया गया। पूर्व सैन्य सचिव पर सिलीगुड़ी स्थित सुकना सैन्य केंद्र का मुखिया रहते छावनी इलाके से सटी संवेदनशील जमीन एक निजी डेवलपर को देने के लिए गलत आधार पर अनापत्ति प्रमाणपत्र [एनओसी] जारी करने का आरोप था।

By Edited By: Published: Sat, 03 Dec 2011 11:50 AM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2011 08:32 PM (IST)
लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश बर्खास्त

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सैन्य अदालत ने लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश को सुकना घोटाले का दोषी ठहराते हुए उनकी बर्खास्तगी के आदेश दिए हैं। अवधेश प्रकाश के खिलाफ चार में से तीन आरोप सही पाए गए। एक आरोप में उन्हें संदेह का लाभ दे दिया गया। पूर्व सैन्य सचिव पर सिलीगुड़ी स्थित सुकना सैन्य केंद्र का मुखिया रहते छावनी इलाके से सटी संवेदनशील जमीन एक निजी डेवलपर को देने के लिए गलत आधार पर अनापत्ति प्रमाणपत्र [एनओसी] जारी करने का आरोप था।

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जनवरी, 2010 में सैन्य सचिव पद से सेवानिवृत्त हो चुके ले. जनरल अवधेश प्रकाश को जनरल कोर्ट मार्शल ने सैन्य कानून की धारा 45 [अधिकारी के रूप में अपने पद का अनुचित उपयोग] और 52 [धोखाधड़ी का इरादा] के तहत दोषी पाया। अवधेश प्रकाश की बर्खास्तगी सेवानिवृत्ति के बाद हुई है। आर्मी एक्ट के तहत इसका मतलब यह हुआ कि न तो उन्हें पेंशन आदि सेवानिवृत्ति के लाभ मिलेंगे और न ही अब उनके पास लेफ्टिनेंट जनरल की रैंक और रुतबा रहेगा। उनके सारे सैन्य पदक भी छीन लिए जाएंगे।

61 वर्षीय ले. जनरल प्रकाश सेना में भ्रष्टाचार के किसी मामले में दोषी ठहराए गए तीसरे आला अधिकारी हैं। इससे पहले इसी साल ले. जनरल एसके साहनी को राशन घोटाले में बर्खास्त किया गया था। अवधेश प्रकाश से पहले सुकना घोटाले में ले. जनरल पीके रथ को भी सजा सुनाई जा चुकी है। अवधेश प्रकाश और साहनी को जहां सेवानिवृत्त के बाद सजा सुनाई गई वहीं ले. जनरल रथ को सेवा में रहते सजा सुनाई गई। रथ की वरिष्ठता और पेंशन कम कर दी गई थी।

क्या है सुकना घोटाला

यह घोटाला उस समय का है जब ले. जनरल अवधेश प्रकाश पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में स्थित सुकना सैन्य केंद्र में मुखिया के तौर पर तैनात थे। वर्ष 2008 में उन्होंने सैन्य केंद्र से लगी 71 एकड़ जमीन अवैध रूप से एक निजी शैक्षणिक संस्थान को हस्तांतरित करने के लिए एनओसी जारी की थी। सेना की एक जांच अदालत ने पिछले साल इस मामले में उनकी भूमिका पर सवाल उठाए थे। जांच अदालत के समक्ष मामले की सुनवाई के दौरान सेना ने दलील दी कि निजी डेवलपर ने इस बात का गलत दावा किया था कि वह जमीन पर राजस्थान के एक मशहूर कॉलेज की शाखा खोलने जा रहा है। इस मामले में दूसरे आरोपी ले. जनरल रथ ने स्वीकार किया था कि उन्होंने अपने सीनियर [अवधेश प्रकाश] के कहने पर एनओसी तैयार की थी। हालांकि अवधेश प्रकाश शुरू से आखिर तक घोटाले में किसी तरह की लिप्तता से इंकार करते रहे, लेकिन जांच अदालत ने उनके कोर्ट मार्शल का आदेश दिया था। सैन्य अदालत की ओर से जारी बर्खास्तगी का आदेश अब पुष्टि के लिए पूर्वी कमान के सैन्य कमांडर को भेजा जाएगा।

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