राम सेतु की सच्चाई जानने के लिए होगा अध्ययन
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष वाई सुदर्शन रेड्डी ने इस आशय की घोषणा की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आइसीएचआर) रामायण में वर्णित राम सेतु की वास्तविकता का पता लगाने के लिए शोध अध्ययन करेगा। इसके लिए वह इस वर्ष अक्टूबर से दो महीने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। अपने अध्ययन में आइसीएचआर पुरातात्विक रूप से यह सुनिश्चित करेगा कि राम सेतु ढांचा मानव निर्मित है या यह कुदरती रूप से बना है।
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष वाई सुदर्शन रेड्डी ने इस आशय की घोषणा की है। पत्रकारों से उन्होंने कहा, 'राम सेतु से जुड़ी एक महत्वपूर्ण परियोजना पर हम काम शुरू करने जा रहे हैं। इसकी अवधि अक्टूबर, नवंबर होगी। अध्ययन के दौरान हम यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि राम सेतु मानव निर्मित है अथवा यह किसी प्राकृतिक प्रक्रिया की देन है।' उनका कहना था कि यह पूरी तरह से आइसीएचआर की परियोजना है, लेकिन जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार से भी मदद ली जाएगी।
बकौल रेड्डी, 'इस शोध अध्ययन परियोजना में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञ, इतिहासकार, शोध छात्र, मरीन विशेषज्ञ और वैज्ञानिकों को शामिल किया जाएगा। अध्ययन में शामिल होने वाले सदस्यों का चयन मई या जून में आयोजित वर्कशाप में किया जाएगा।' रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण की लंका पर चढ़ाई करने के लिए बंदरों की मदद से राम सेतु का निर्माण कराया था। तमिलनाडु के तटीय इलाके से श्रीलंका तक इस सेतु के अवशेष मिले हैं। आइसीएचआर ने राम सेतु को लेकर अध्ययन करने की यह घोषणा ऐसे समय की है, जब उप्र में भाजपा की ऐतिहासिक जीत और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है।
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