पढ़ाई के प्रति ऐसा जुनून; सवा किमी नाव चलाकर स्कूल जाते हैं बच्चे
पढ़ाई के प्रति लगन, निष्ठा व समर्पण देखनी हो तो धमतरी जिले के गंगरेल बांध के डुबान क्षेत्र वाले गांव सिंघोला पहुंच जाएं। यहां के बच्चे साल के लगभग पांच-छह माह नाव के सहारे करीब सवा किमी तक दूर तक फैले पानी को पार कर स्कूल जाते हैं।
राजेश शुक्ला, कांकेर। पढ़ाई के प्रति लगन, निष्ठा व समर्पण देखनी हो तो धमतरी जिले के गंगरेल बांध के डुबान क्षेत्र वाले गांव सिंघोला पहुंच जाएं। यहां के बच्चे साल के लगभग पांच-छह माह नाव के सहारे करीब सवा किमी तक दूर तक फैले पानी को पार कर स्कूल जाते हैं। इस दौरान इनके साथ अन्य कोई नहीं होता। खुद ही माझी होते हैं। मौसम चाहे कैसा भी हो, ये बच्चे स्कूल जाना नहीं छोड़ते।
वैसे तो यह गांव धमतरी जिले में आता है, लेकिन बांध के पानी से चारों तरफ से घिरा होने के कारण यहां के रहवासी कांकेर जिले पर निर्भर रहते हैं। वर्तमान में इस गांव से आठ बच्चे पढ़ने जाते हैं। चार बच्चे धमतरी के मोंगरागहन जाते हैं व अन्य चार कांकेर जिले के हल्बा व देवीनवागांव आते हैं। देवीनवागांव के स्कूल में ओमप्रकाश व लिलेश्वर (कक्षा दसवीं), हल्बा के स्कूल में टिकेश्वरी (दसवीं) व नंदेश्वरी (11वीं) तथा मोंगरागहन स्कूल में उमेश्वरी, मोहित, नंदकुमार व भीषम (सभी कक्षा सातवीं) पढ़ते हैं।
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मोंगरागहन जाने के लिए बच्चों को नदी के डुबान क्षेत्र में करीब सवा किमी तक फैले पानी को नाव के सहारे पार करना पड़ता है। मोंगरागहन शासकीय स्कूल के प्राचार्य धर्मराज मंडावी ने बताया कि इस वर्ष बारिश कम हुई है, इसलिए डेम में जलस्तर कम है। अन्य वर्षों में ये बच्चे जुलाई से जनवरी तक लगभग सात माह स्वयं नाव चलाकर पढ़ने आते हैं। शिक्षक विनय त्रिपाठी ने बताया कि बच्चों की हाजिरी शत-प्रतिशत रहती है। बारिश होती रहती है, तब भी ये बच्चे स्कूल आते हैं। शिक्षक टोमन साहू और राजेश मेश्राम ने भी बच्चों की पढ़ाई और लगनशीलता की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि इन बच्चों की पढ़ाई के प्रति रुझान अन्य बच्चों के लिए अनुकरणीय है।