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तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मेडिकल दाखिले में मिलेगा 7.5% आरक्षण

तमिलनाडु कैबिनेट ने मंगलवार को राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के हित में अभूतपूर्व फैसला किया है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 08:43 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 08:43 AM (IST)
तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मेडिकल दाखिले में मिलेगा 7.5% आरक्षण
तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मेडिकल दाखिले में मिलेगा 7.5% आरक्षण

चेन्नई, प्रेट्र। तमिलनाडु कैबिनेट ने मंगलवार को राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के हित में अभूतपूर्व फैसला किया है। कैबिनेट ने उस प्रावधान पर मुहर लगा दी है, जिसके तहत राज्य के सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मेडिकल के स्नातक कोर्सो में दाखिले के दौरान 7.5 फीसद का आरक्षण प्रदान किया जाएगा।

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इस कोटे का प्रावधान मौजूदा आरक्षण के भीतर किया गया है। सूत्रों ने बताया कि 'कोटा के भीतर कोटा' की यह व्यवस्था निजी कॉलेजों की सरकारी सीटों पर भी लागू होगी। यह प्रावधान राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) के सफल अभ्यर्थियों पर लागू होगा। इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले विद्यार्थियों के लिए नीट से राहत प्रदान करने की मांग की थी। हालांकि, द्रमुक समेत अन्य विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना की थी।

सचिवालय में मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में छह कंपनियों के प्रस्तावों को तत्काल अनुमोदन प्रदान करने का फैसला किया गया। इन कंपनियों ने तमिलनाडु में करीब 5,000 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया है।

मेडिकल प्रवेश में ओबीसी कोटे पर मद्रास हाई कोर्ट जल्द फैसला करे

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मद्रास हाई कोर्ट से मेडिकल के 2020-21 के शैक्षणिक सत्र में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और डेंटल कोर्स में ऑल इंडिया कोटे में तमिलनाडु सरकार द्वारा छोड़ी गई सीटों में राज्य के ओबीसी छात्रों को 50 फीसद आरक्षण का लाभ नहीं देने के केंद्र के फैसले के खिलाफ लंबित याचिकाओं पर शीघ्र फैसला लेने को कहा। इन में से एक याचिका राज्य सरकार ने दायर कर रखी है।जस्टिस एल. नागेश्वर राव और हेमंत गुप्ता की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करते हुए कहा कि हाई कोर्ट को शीर्ष अदालत में एक अन्य मामला लंबित होने के बावजूद राज्य सरकार तथा अन्य की याचिकाओं पर फैसला करना चाहिए।


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