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आईआईएम से छात्रों को अब डिप्लोमा की जगह मिलेगी डिग्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आईआईएम विधेयक 2017 को मंजूरी दी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 24 Jan 2017 06:54 PM (IST)Updated: Tue, 24 Jan 2017 07:14 PM (IST)
आईआईएम से छात्रों को अब डिप्लोमा की जगह मिलेगी डिग्री
आईआईएम से छात्रों को अब डिप्लोमा की जगह मिलेगी डिग्री

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश के प्रतिष्ठित प्रबंधन शिक्षा संस्थान आईआईएम को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा प्रदान किया है। साथ अब आईआईएम अपने छात्रों को डिप्लोमा के स्थान पर डिग्री दे पाएंगे। आईआईएम को यह अधिकार देने वाले एक विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को मंजूरी दे दी।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आईआईएम विधेयक 2017 को मंजूरी दी। माना जा रहा है कि इस विधेयक को सरकार आगामी बजट सत्र में संसद में पेश कर देगी। सरकार के बयान के मुताबिक इस विधेयक के जरिये आईआईएम को अपने छात्रों को डिग्री देने का अधिकार मिल जाएगा। वर्तमान में यहां से प्रबंधन की पढ़ाई करने वाले छात्रों को स्नातकोत्तर डिप्लोमा और फैलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट दिया जाता है। ये दोनों कार्यक्रम एमबीए और पीएचडी की डिग्री के बराबर माने जाते हैं। लेकिन इनकी स्वीकार्यता सर्वमान्य नहीं है।

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प्रस्तावित विधेयक के जरिए सरकार ने देश के इन शीर्ष प्रबंधन संस्थानों को पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की है। विधेयक में इन संस्थानों को चलाने के लिए बोर्ड द्वारा संचालित प्रबंधन व्यवस्था बनाने का प्रावधान किया गया है। यही बोर्ड संस्थान के लिए चेयरपर्सन और निदेशक का चयन करेगा। विधेयक में बोर्ड के सदस्यों के लिए विशेषज्ञों और आईआईएम से पढ़े हुए पूर्व छात्रों को रखने की बात कही गई है।

कैबिनेट की बैठक से मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने ट्वीट करके कहा 'आईआईएम को पूर्ण स्वायत्तता और डिग्री देने का अधिकार मिलना ऐतिहासिक फैसला है।' उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उच्च शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता और गंभीरता को दिखाता है। विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक आईआईएम को बोर्ड में महिलाओं और अनुसूचित जाति व जनजाति के सदस्यों को भी शामिल किया जा सकेगा।

बदले माहौल में विधेयक में इस बात का भी प्रावधान किया गया है जिससे इन संस्थानों के प्रदर्शन की स्वतंत्र एजेंसियों से समय समय पर समीक्षा करायी जा सके। इस समीक्षा के नतीजों को सार्वजनिक भी किया जाएगा। संस्थानों की वार्षिक रिपोर्ट संसद में पेश की जाएगी और ये कैग के ऑडिट के दायरे में आएंगे।

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