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रेलवे की चार-पांच साल की रणनीति दो माह में

अगले चार-पांच साल में रेलवे को किस दिशा में जाना है, इसकी रणनीति सरकार अगले दो महीने में पेश कर देगी। अगले चार बजट इसी रणनीति के हिसाब से तैयार होंगे। रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने इस बात का एलान किया।

By Sachin kEdited By: Published: Fri, 21 Nov 2014 08:34 PM (IST)Updated: Fri, 21 Nov 2014 08:51 PM (IST)
रेलवे की चार-पांच साल की रणनीति दो माह में

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगले चार-पांच साल में रेलवे को किस दिशा में जाना है, इसकी रणनीति सरकार अगले दो महीने में पेश कर देगी। अगले चार बजट इसी रणनीति के हिसाब से तैयार होंगे। रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने इस बात का एलान किया। वह पीएचडी चेंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से आयोजित रेल इंफ्रास्ट्रक्चर समिट-2014 को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने रेलवे के बारे अपनी नीयत और नीति स्पष्ट कर दी है। इसका असर भी रेलवे में दिखाई देने लगा है। हालांकि अभी अन्य विभागों के मुकाबले अभी पीछे हैं, मगर कोशिश जल्द इस कमी को दूर करने की है। इसमें उद्योग जगत को साथ देना होगा।

इसके लिए शीघ्र सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल की 50-70 परियोजनाओं को वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा। सरकार उद्योगों के साथ संवाद बढ़ाना चाहती है। उसका मानना है कि उद्योग समर्थक का मतलब गरीब विरोधी होना नहीं है। रोजगार के अवसर बढ़ने पर ही गरीबी दूर होगी।

छह महीने में देश में बड़ा बदलाव आया है। जनता खासकर नौजवानों की सरकार से अपेक्षा है। लोग रेल सेवाओं में सुधार चाहते हैं। रेलवे के माल व यात्री परिवहन में दस गुना बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर केवल दो-सवा दो गुना बढ़ा है।

आय-व्यय के बीच अंतर व ऑपरेटिंग रेशियो में भी वृद्धि हुई है। इसलिए रेलवे में भारी निवेश की जरूरत है। रेल राज्यमंत्री ने माना कि रेलवे पर जिम्मेदारियों का भारी बोझ है।

सम्मेलन में रेलवे बोर्ड चेयरमैन अरुणेंद्र कुमार ने कहा कि फिलहाल जोर हाईस्पीड व सेमी हाईस्पीड ट्रेनें चलाने, आधुनिक स्टेशन बनाने और अक्षय ऊर्जा के उत्पादन पर है। दिल्ली-आगरा के बीच 160 किलोमीटर की रफ्तार पर सेमी हाईस्पीड ट्रेन जल्द शुरू होगी।

राजस्थान के पोखरण में 25 मेगावाट का पवन ऊर्जा संयंत्र लगाया जाएगा। अगले पांच साल में 1,000 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा क्षमता सृजित करना है। अभी पवन ऊर्जा की लागत साढ़े सात रुपये प्रति यूनिट है। इसे घटाकर छह रुपये पर लाया जा सकता है।

इससे ऊर्जा बिल में बड़ी बचत संभव है। इस मौके पर बेल्जियम के राजदूत जॉन ल्यूक्स ने हाईस्पीड डिजाइन, नई लाइन, विद्युतीकरण, सिग्नलिंग व स्टेशन विकास में रेलवे के साथ सहयोग का प्रस्ताव किया।

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