Move to Jagran APP

टेलीकॉम उद्योग में जल्द थमेगी खलबली : सिन्हा

सिन्हा ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र एक खुला बाजार है। वर्ष 2003 में जब नई कंपनियों ने बाजार में प्रवेश किया था तो उस वक्त भी इसी तरह की खलबली मची थी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Thu, 25 May 2017 09:47 PM (IST)Updated: Thu, 25 May 2017 09:47 PM (IST)
टेलीकॉम उद्योग में जल्द थमेगी खलबली : सिन्हा
टेलीकॉम उद्योग में जल्द थमेगी खलबली : सिन्हा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रिलायंस जियो के प्रवेश से दूरसंचार क्षेत्र में मची उथल-पुथल कुछ दिनों में शांत हो जाएगी। इससे संचार उद्योग में नौकरियों के लिए कोई खतरा नहीं है। संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने यह बात कही।

prime article banner

सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर संचार मंत्रालय की उपलब्धियों की चर्चा के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिन्हा ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र एक खुला बाजार है। वर्ष 2003 में जब नई कंपनियों ने बाजार में प्रवेश किया था तो उस वक्त भी इसी तरह की खलबली मची थी। परंतु एक-दो साल में सब कुछ ठीक हो गया था। इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस क्षेत्र में नौकरियों के लिए कोई खतरा है।

यह भी पढ़ें: दाऊद के भतीजे की शादी में महाराष्ट्र के मंत्री, CM ने मांगी रिपोर्ट

गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में रिलायंस जियो के बाजार में प्रवेश के बाद पहले से स्थापित एयरटेल, वोडाफोन और आईडिया सेल्युलर जैसी टेलीकॉम कंपनियों के कारोबार में गिरावट देखने में आ रही है क्योंकि रिलायंस जियो ने अपने ग्राहकों को अगले मार्च तक मुफ्त 4जी सेवाएं प्रदान करने के अलावा आजीवन मुफ्त वॉइस कॉल की सुविधा प्रदान की है। इस घमासान का फायदा ग्राहकों को मिला है क्योंकि मोबाइल डाटा की दरें जो एक साल पहले 200 रुपये प्रति जीबी थीं, अब घटकर मात्र 10 रुपये जीबी पर आ गई हैं।

यह भी पढ़ें: कांग्रेस ने सरकार को दी आर्थिक विकास-नौकरी पर श्वेत पत्र लाने की चुनौती

पिछले वित्तीय वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में रिलायंस कम्यूनिकेशंस (आरकॉम) तथा आईडिया दोनों को घाटा हुआ। अब वोडाफोन और आईडिया दोनों ही आपस में विलय की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। जबकि सिस्टेमा श्याम तथा एयरसेल के मोबाइल व्यवसाय का विलय आरकॉम के साथ हो रहा है। समझा जाता है कि नुकसान के कारण आरकॉम और टाटा टेलीसर्विसेज ने अपने यहां 500-600 लोगों की छंटनी कर दी है।

भविष्य में टेलीकॉम उद्योग में और नौकरियां जाने के सवाल पर मनोज सिन्हा ने कहा, 'दुनिया के ज्यादातर देशों में दो-तीन से ज्यादा मोबाइल कंपनियां नहीं हैं। इसलिए हमारे यहां भी 4-5 से ज्यादा कंपनियों के लिए बेहतर संभावनाएं नहीं है।'

जीएसटी के असर पर नजर

भारत में इस समय तकरीबन दस टेलीकॉम कंपनियां कार्यरत हैं। इन सबका कहना है कि आय में कमी के कारण उन्हें पहले ही वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में 18 फीसद जीएसटी से उनकी समस्या और बढ़ेगी। मनोज सिन्हा ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों पर 15 फीसद टैक्स पहले से लग रहा है। इसलिए इसे 18 फीसद जीएसटी के दायरे में लाया गया है। केवल तीन प्रतिशत का अंतर है। टेलीकॉम कंपनियां जीएसटी काउंसिल से मिलने की तैयारी कर रही हैं। हम अपने स्तर पर गंभीरतापूर्वक इसकी निगरानी कर रहे है।

सरकार का कामकाज पारदर्शी

उन्होंने कहा, 'चाहे विदेशी निवेशक हों या देशी, सभी का मानना है कि यह सरकार पारदर्शी है। यदि आप इक्विटी प्रवाह को देखें तो 2013-14 के मुकाबले 2016-17 में यह चार गुना बढ़कर 556.40 करोड़ डॉलर पर पहंुच गया है।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.