राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम तेज
भविष्य में राम मंदिर आंदोलन का ऊंट चाहे जिस करवट बैठे पर राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की तैयारियां पुख्ता हो रही हैं।
आयोध्या (रघुवरशरण) । भविष्य में राम मंदिर आंदोलन का ऊंट चाहे जिस करवट बैठे पर राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की तैयारियां पुख्ता हो रही हैं। रामघाट चौराहा पर संचालित राम जन्मभूमि कार्यशाला में प्रस्तावित मानचित्र के अनुरूप पत्थर तराशी का दो तिहाई काम हो चुका है। कार्यशाला के निदेशक अन्नू भाई सोमपुरा के अनुसार, मंदिर निर्माण चाहे जब शुरू हो, उनकी ओर से कोई शिथिलता नहीं है।
पत्थर तराशी का कुछ काम बाकी है, लेकिन जब तक तराशे गए पत्थर कार्यशाला से निर्धारित स्थल तक पहुंचेंगे, तब तक तराशी का बाकी काम भी पूर्ण कर लिए जाने की योजना है। पिछले कुछ माह से प्रस्तावित मंदिर की छत के लिए पत्थर तराशी का काम शुरू किया गया है। यूं तो लाल बलुए शिला खंडों पर पड़ती छेनी का हर वार कला के नमूने को निखारने वाला होता है पर छत के पत्थरों की तराशी के कहने ही क्या? किसी भवन की छत आम तौर पर सादगी के साथ संयोजित होती है पर यहां तराशी जा रही शिलाओं से बयां होता है कि प्रस्तावित मंदिर की छत भी कला की नजीर होगी।
फूल-पत्ती और धार्मिक महत्व के प्रतीकों से आच्छादित छत शिल्पकार की प्रतिभा, धैर्य और कठिन श्रम की भी परिचायक है। प्रस्तावित मंदिर 268 फीट पांच इंच लंबा, 140 फीट चौड़ा एवं 128 फीट ऊंचा है। दो तल के मंदिर में 212 स्तंभ लगने हैं। प्रथम तल के स्तंभ 16 फीट छह इंच ऊंचे एवं द्वितीय तल के स्तंभ 14 फीट छह इंच ऊंचे हैं। प्रत्येक स्तंभों का व्यास तीन फीट है और उन पर यक्ष-यक्षिणियों की 16 मूर्तियां उत्कीर्ण होंगी। नमूने के तौर पर प्रथम तल के दो स्तंभ शिल्प कला की नजीर के रूप में पूरी तरह से तैयार कर लिए गए हैं।