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डेंटल छात्रों का दाखिला रद करने के आदेश पर रोक

सुप्रीमकोर्ट ने डेंटल कोर्स में उनका दाखिला रद करने के हाईकोर्ट के आदेश पर सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 07:56 PM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 09:08 PM (IST)
डेंटल छात्रों का दाखिला रद करने के आदेश पर रोक
डेंटल छात्रों का दाखिला रद करने के आदेश पर रोक

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दंत चिकित्सक बनने का सपना देख रहे मध्यप्रदेश के करीब 700 छात्रों को सुप्रीमकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीमकोर्ट ने डेंटल कोर्स में उनका दाखिला रद करने के हाईकोर्ट के आदेश पर सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी है।

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सुप्रीमकोर्ट के रोक आदेश का प्रभाव यह होगा कि छात्र फिलहाल अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगे। उधर डेंटल काउंसिल आफ इंडिया (डीसीआइ) ने भी भारत सरकार को पत्र लिख कर इन छात्रों का दाखिला नियमित करने पर विचार करने को कहा है।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गत 16 दिसंबर को छात्रों और प्राइवेट डेंटल और मेडिकल कालेज एसोसिएशन की याचिकाएं खारिज करते हुए नियमों के खिलाफ हुए दाखिले रद करने पर मुहर लगा दी थी। एसोसिएशन और छात्र फैसले के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट पहुंचे हैं।

सोमवार को न्यायमूर्ति एसए बोबडे व न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने कालेज एसोसिएशन और छात्रों की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए याचिका में प्रतिपक्षी बनाई गई केंन्द्र व मध्य प्रदेश सरकार तथा डीसीआइ को याचिका का जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है। इससे पहले वकील कपिल सिब्बल और प्रगति नीखरा ने कोर्ट से राहत की गुहार लगाते हुए बच्चों के भविष्य की दुहाई दी। उन्होंने कोर्ट के समक्ष डीसीआइ का 1 जनवरी का पत्र पेश किया जिसमें डीसीआइ ने पढ़ रहे छात्रों के भविष्य को देखते हुए वन टाइम मेजर के तौर पर भारत सरकार से छात्रों का प्रवेश नियमित करने की सिफारिश की है। वकीलों का कहना था कि सरकार फिलहाल इस मुद्दे पर विचार कर रही है। ऐसे में कोर्ट हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दे।

यह मामला मध्य प्रदेश में 2014-2015 में दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश का है। जिसमें छात्रों को नियम कानूनों की अनदेखी कर संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए बगैर क्वालीफाइंग परीक्षा (12वीं) के रिजल्ट के आधार पर प्रवेश दे दिया गया था। या फिर छात्र संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए थे लेकिन उसे पास नहीं कर पाए थे फिर भी डेंटल कालेजों ने उन्हें प्रवेश दे दिया था। इस मामले में नियम कानूनों को ताक पर रख कर भर्ती किये गये छात्रों को निकालने का आदेश हुआ था। जिसके खिलाफ छात्र हाईकोर्ट गये थे और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गत 16 दिसंबर को सभी याचिकाएं खारिज करते हुए उनका दाखिला रद करने पर अपनी मुहर लगा दी थी।

इस बीच एक नये घटनाक्रम में डेंटल काउंसिल आफ इंडिया ने गत 11 जनवरी को भारत सरकार को पत्र लिख कर नियम कानूनों का उल्लंघन कर 2014-15 व 2015-16 में देश भर के डेंटल कालेजों में भर्ती किये गये छात्रों का विस्तृत ब्योरा देते हुए सरकार से उनका दाखिला नियमित करने पर विचार करने को कहा है। डीसीआइ का कहना है कि छात्र अभी पढ रहे हैं और जो भी हुआ है उसमें पूरी गलती उनकी है इसलिए वन टाइम मेजर के तौर उन्हें नियमित कर दिया जाये। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीमकोर्ट में डीसीआइ का यह पत्र पेश किया है। इस पत्र से साबित होता है कि भारत सरकार के समक्ष भी यह मामला विचाराधीन है।


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