डीएल के राष्ट्रीय रजिस्टर के लिए अभी तैयार नहीं हैं राज्य
मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2016 की समीक्षा से संबंधित संसद की परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति समिति ने अपनी रिपोर्ट में राज्यों की स्थिति बयान की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ड्राइविंग लाइसेंस का राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने के केंद्र के मंसूबे पर फिलहाल राज्यों ने पानी फेर दिया है। राज्यों का कहना है कि अभी वे इस रजिस्टर में हिस्सेदारी के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए इस योजना को दो-तीन साल के लिए टाला जाए। संसदीय समिति ने भी राज्यों के मत का समर्थन किया है।
मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2016 की समीक्षा से संबंधित संसद की परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति समिति ने अपनी रिपोर्ट में राज्यों की स्थिति बयान की है। इसमें कहा गया है कि ड्राइविंग लाइसेंसों के लिए राष्ट्रीय बनाने की केंद्र की मंशा अच्छी है। लेकिन इसे तब ही कार्यान्वित किया जाना चाहिए, जब सभी राज्य इसके लिए पूरी तरह से तैयार हों जाएं।
अभी तो स्थिति यह है कि ज्यादातर राज्यों ने इसमें शामिल होने में असमर्थता व्यक्त की है। वे अपने कार्यालयों को इस स्कीम के लिए इलेक्ट्रानिक तौर पर तैयार करने के लिए कम से कम दो-तीन वर्ष का समय मांग रहे हैं। ऐसे हालात में समिति की राय है कि इस स्कीम को राज्यों के परामर्श के बाद ही लागू किया जाना चाहिए।
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गौरतलब है कि मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक के उपबंध 12 में केंद्र सरकार द्वारा ड्राइविंग लाइसेंसों के लिए एक नेशनल रजिस्टर बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत प्रत्येक ड्राइविंग लाइसेंस को आधार जैसा एक अद्वितीय नंबर आवंटित किया जाएगा।
इसके बगैर जारी किए गए किसी भी नए या नवीनीकृत ड्राइविंग लाइसेंस को वैध नहीं माना जाएगा। प्रत्येक राज्य सरकार को उसके द्वारा जारी सभी ड्राइविंग लाइसेंसों का ब्यौरा इस रजिस्टर में डालना होगा। इसके लिए विधेयक में नई धारा 25-ए शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक यदि राज्य सरकारें चाहेंगी तो नेशनल रजिस्टर को बायोमेट्रिक आधारित भी बनाया जा सकता है।
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