अप्रैल में हो जाएगा एसबीआइ सब्सिडियरी बैंकों का विलय
सरकार को उम्मीद है कि विलय के बाद एसबीआइ भारत की बड़ी परियोजनाओं को अब ज्यादा आसानी से कर्ज दे सकेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) में इसके पांच सब्सिडियरी बैंकों का विलय 01 अप्रैल, 2017 को हो जाएगा। यह सिर्फ देश के बैंकिंग क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे वित्तीय क्षेत्र में संभवत: अभी तक का सबसे बड़ा विलय होगा। एसबीआइ में विलय होने वाले पांच सब्सिडियरी बैंकों के नाम है स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर व जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला व स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद। इस विलय के बाद देश में पहली बार कोई बैंक वित्तीय पावर व संपत्ति आकार के मामले में दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल हो जाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले हफ्ते ही एसबीआइ में पांचों सब्सिडियरी बैंकों के विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और गुरुवार को बैंक की तरफ से इसका रोडमैप जारी कर दिया गया। वैसे एसबीआइ के निदेशक बोर्ड ने इस बारे में प्रस्ताव को पहले ही दे दी है। विलय के बाद एसबीआइ ग्राहक संख्या के हिसाब (50 करोड़ ग्राहक) से दुनिया का सबसे बड़ा बैंक हो जाएगा जबकि 22,500 शाखाओं के हिसाब से यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। इन दोनों मामले में यह एग्रीकल्चर बैंक ऑफ चाईना से पीछे होगा। वैसे विलय से एसबीआइ की परिसंपत्ति का आकार 555 अरब डॉलर (37 लाख करोड़ रुपये) का हो जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि विलय के बाद एसबीआइ भारत की बड़ी परियोजनाओं को अब ज्यादा आसानी से कर्ज दे सकेगी।
विलय के बाद सब्सिडियरी पांचों बैंकों के सभी कर्मचारी व अधिकारी स्वत: तरीके से एसबीआइ के तहत आ जाएंगे। सरकार पहले ही यह ऐलान कर चुकी है कि वित्तीय तौर पर किसी भी कर्मचारी के वेतन या भत्ते आदि में कोई कमी नहीं की जाएगी। विलय की प्रक्रिया पूरी होने में कुछ वक्त लगेगा क्योंकि बैंकिंग व पूंजी बाजार की तमाम नियामक एजेंसियों से मंजूरी लेनी होगी। विलय होने वाले तीन बैंक शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं। उनके लिए शेयरों के आदान प्रदान की बात पहले ही घोषित की जा चुकी है। सब्सिडियरी बैंकों के ग्राहकों को यह फायदा होगा कि वे एसबीआइ के व्यापक नेटवर्क का अब सीधे लाभ उठा सकेंगे। सरकार इस विलय के बाद अन्य बैंकों में विलय की प्रक्रिया शुरु करने के पक्ष में है।
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