Move to Jagran APP

SP-RLD मिले तो वेस्ट यूपी में बसपा-भाजपा की राह होगी मुश्किल!

सपा भी इस बात को अच्छी तरह जानती है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद को साथ लिए बिना कोई भी बडा़ गठबंधन सफल नहीं हो सकता है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 30 May 2016 09:37 AM (IST)Updated: Tue, 31 May 2016 07:50 AM (IST)
SP-RLD मिले तो वेस्ट यूपी में बसपा-भाजपा की राह होगी मुश्किल!

नोएडा (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन की राजनीति पर सियासी दांवपेंच का दौर शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और अजित सिंह से हाथ मिला सकते हैं।

loksabha election banner

रालोद-सपा नजदीकी से सियासी गर्माहट, कांग्रेस प्रत्याशियों का नामांकन

कयास लगा जा रहे हैं कि प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री व यूपी सपा प्रभारी शिवपाल सिंह यादव ने इस बाबत रविवार को रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा की।

UP election 2017: जाट-क्षत्रिय नहीं, गुर्जरों पर दांव लगाएगी सपा

सपा-रालोद का गठबंधन पर जमीन पर उतरा तो आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ बसपा का भी चुनावी गणित गड़बड़ा सकता है। दोनों दलों के साथ आने से सपा का मुस्लिम और रालोद के जाट वोटरों का गठजोड़ बनता है,तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 145 विधानसभा सीटों पर सपा-रालोद की राह आसान हो सकता है।

दादरी में भाटी गोत्र पर सपा ने खेला दांव

सपा भी इस बात को अच्छी तरह जानती है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद को साथ लिए बिना कोई भी बडा़ गठबंधन सफल नहीं हो सकता है। यही वजह है कि रविवार को दिल्ली में शिवपाल से मुलाकात के बाद चौधरी अजित सिंह सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके आवास गए।

रालोद सुप्रीमो ने अटकलों से किया इन्कार

अजित सिंह ने गठजोड़ की बात से इनकार किया है। इससे पहले रालोद की जदयू के साथ विलय और भाजपा के साथ गठबंधन पर बातचीत हुई थी, पर बात नहीं बन पाई। वहीं, अजित सिंह के करीबी सूत्रों का कहना है कि गठबंधन को लेकर शुरुआती बातचीत हुई है। दोनों दल अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। सपा पश्चिमी यूपी में पकड़ मजबूत करने के लिए अजित सिंह को राज्यसभा भेजने पर विचार कर सकती है।

सपा भी मानती है कि रालोद सहित कई दूसरी छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर अगले साल विधानसभा चुनाव में सरकार विरोधी माहौल से होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सकती है।

इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि पिछले दो चुनावों में सपा और बसपा के बीच करीब चार फीसदी वोट के अंतर पर हार जीत हुई है, जबकि रालोद करीब तीन फीसदी वोट हासिल करने में सफल रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.