लोकसभा में सम्राट अशोक की याद में समारोह और अवकाश घोषित करने की मांग
सांसद महेंद्रनाथ पांडेय ने सम्राट अशोक के लिए समारोह की मांग की है। उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक के कई चिन्हों को आज भी हम भारत के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के निर्माण में चक्रवर्ती सम्राट अशोक की भूमिका को याद करते हुए सांसद महेंद्रनाथ पांडेय ने लोकसभा में कहा कि उनके चार सिंहों के मुखों से समृद्ध चिन्ह को राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में उपयोग किया जाता है। उनके धम्म चक्र को अपने राष्ट्रीय ध्वज के बीचोबीच में सुशोभित करते हैं। बहादुर सैनिकों को उनकी वीरता के लिए सबसे बड़ा सम्मान अशोक चक्र प्रदान करते हैं। पांडेय ने लोकसभा में विशेष उल्लेख के दौरान यह मसला उठाया।
पांडेय ने कहा कि ऐसे महापुरुष का जन्म 304 ईसा पूर्व हुआ और इनका कार्यकाल ईसा पूर्व 273 से 232 ईसा पूर्व तक माना जाता है। उन्होंने अखंड भारत को अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में आज के आधुनिक असम, अहोम, म्यांमार, सुदूर दक्षिण कर्नाटक के आगे तक फैलाया था। उन्होंने एक से बढ़कर एक विश्वविद्यालयों की स्थापना की थी। तक्षशिला और नालंदा जैसे ज्ञान केंद्र की स्थापना की। अहिंसा परमो धर्म का संदेश पूरी दुनिया को दी। डाक्टर पांडेय ने उनकी उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उनके नाम पर साल में एक दिन अवकाश रखने की मांग की।
उन्होंने इसके लिए विद्वानों की राय लेकर उनकी स्मृति में राष्ट्रीय एकता व सांस्कृतिक एकता के लिए कुछ आयोजन किये जाने की जरूरत है। डाक्टर पांडेय के उठाये इस मसले से कई सांसदों अपने को संबद्ध किया। इनमें भैरो प्रसाद मिश्र, सीपी जोशी, रोडमल नागर, सुधीर गुप्ता, डाक्टर मनोज राजोरिया, कुवंर पुष्पेंद्र चंदेल, अर्जुन लाल मीणा, रामचरण वोहरा और अश्विनी चौबे प्रमुख है।