चुनाव 2017: सपा-कांग्रेस गठबंधन संभावनाओं का एक दौर खत्म, आर-पार आज
सपा-कांग्रेस में अब तक कायम उम्मीदों के गठबंधन का एक दौर खत्म हो गया। कांग्रेस के भी पहले और दूसरे चरण के उम्मीदवारों की सूची तैयार है। सपा 208 उम्मीदवार पहले ही जारी कर चुकी है।
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच अब तक कायम उम्मीदों के गठबंधन का एक दौर आज खत्म हो गया। कांग्रेस की पहले और दूसरे चरण के लिए उम्मीदवारों की सूची तैयार होते ही गठबंधन को लेकर छाई धुंध छट गई। सूची के जरिए कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वह पहले और दूसरे चरण के लिए अकेले चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है। हालांकि गठबंधन की संभावना से इन्कार किसी पक्ष ने नहीं किया लेकिन सपा ने शुक्रवार को जारी सूची में ऐसा कर दिखाया जिससे गठबंधन टूटने में कोई कोर-कसर नहीं छूटी। उल्लेखनीय है कि सपा से घोषित 208 प्रत्याशियों में दस सीटें ऐसी थीं जिन पर 2012 में कांग्रेस जीती थी।
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बातचीत में रुकावट नहीं
सपा-कांग्रेस गठबंधन के मैदान में उतरने की संभावना अब नगण्य है। सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि सपा-कांग्रेस गठबंधन करीब-करीब खत्म ही हो गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि बातचीत में किसी तरह की रुकावट नहीं है। गठबंधन की संभावनाएं कम देख अखिलेश यादव ने आवास पर अपने खास सिपहसालारों को बुलाकर मंत्रणा की है। आगे की रणनीति का खुलासा कल सुबह प्रेस कांफ्रेंस में हो सकता है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि रविवार की दोपहर तक गठबंधन पर तस्वीर साफ होगी। घोषणा पत्र जारी करते समय ही इस पर कुछ बोलूंगा।
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अखिलेश से मिले पीके
सपा-कांग्रेस गठबंधन की खत्म होती संभावना की वजह, कांग्रेस 120 सीटों से कम पर तैयार नहीं है और सपा 100 सीटों से ऊपर देने को राजी नहीं है। आज कांग्रेस प्रबंधक प्रशांत किशोर की मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात हुई मगर कोई नतीजा नहीं निकला। यादव ने स्पष्ट कहा कि निर्णय कांग्रेस को करना है कि वह गठबंधन चाहती है या नहीं। रविवार को गठबंधन पर तस्वीर साफ हो जाने की उम्मीद है।
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सिर्फ 20 सीटों का पेंच
सपा-कांग्रेस गठबंधन में पेंच सिर्फ 20 सीटें इधर-उधर करने का है। इसमें एक दुश्वारी यह भी है कि गठबंधन की बातचीत में गांधी परिवार का कोई सदस्य अब तक सीधे शामिल नहीं हुआ। कांग्रेस के बड़े नेता भी सिर्फ फोन पर चर्चा कर रहे हैं जिससे बीच का रास्ता नहीं निकल पा रहा है। दरअसल, सरकार सदस्य संख्या पर बनती-बिगड़ती है। चुनाव परिणाम के बाद परिस्थितियां किस करवट बैठेंगी, इसका सटीक आकलन संभव नहीं है। लिहाजा सपा 300 सीटों से कम पर चुनाव लडऩे को तैयार नहीं है। कांग्रेस भी दूर की कौड़ी देखते हुए 120 सीटों से कम पर राजी नहीं हो रही है। हालांकि शनिवार को कांग्रेस के प्रबंधक प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मुलाकात कर पेंच सुलझाने के फार्मूले पर बात की। सपा के रणनीतिकारों ने स्पष्ट कहा कि 2012 में 57 ऐसी सीटें थी, जहां कांग्रेस एक व दो नबंर पर थी। फिर भी सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए सपा 100 सीटें दे सकती है। इससे ज्यादा सीटें नहीं दी जा सकतीं।
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दावे से अधिक सीटें छोड़ीं
मीटिंग के बाद सपा के राज्यसभा सदस्य किरनमय नंदा ने कहा कि फैसला कांग्रेस को करना है कि वह गठबंधन चाहती है या नहीं। जितनी सीटों पर उनका दावा बनता है, उससे अधिक सीटें छोड़ रहे हैं। सपा के दूसरे राज्यसभा सदस्य व प्रो.राम गोपाल यादव के करीबी नरेश अग्रवाल ने कहा कि गठबंधन करीब-करीब टूट गया है। समाजवादी पार्टी 300 सीटों से कम पर चुनाव नहीं लड़ सकती क्योंकि हमारे मौजूदा विधायकों की संख्या ही 240 के करीब है। इससे पहले इससे पहले शुक्रवार को गठबंधन के अस्तित्व में आने की अटकलों के बीच सपा ने 208 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी थी, जिससे कांग्रेस में खलबली मच गई थी।
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उल्लेखनीय है कि गंगोह, शामली, स्वार, बिलासपुर, हापुड़, स्याना, खुर्जा, मथुरा, किदवई नगर और देवबंद सीटें पिछले चुनाव में कांग्रेस के पास थीं। सपा ने इन पर प्रत्याशी उतार कर कांग्रेस को सब कुछ जता दिया था लेकिन उम्मीदों का गठबंधन अब तक कायम रहा। आज शाम उसी अंदाज में कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक पारी खेलते हुए दो चरणों के लिए प्रत्याशियों की सूची तैयार कर दी। विधानसभा-2017 के चुनाव में सपा, कांग्रेस-रालोद का गठबंधन बनाने का लंबे समय से प्रयास चल रहा था। गुरुवार को रालोद के अलग होने की बात सामने आई। कल प्रत्याशियों की सूची जारी कर सपा ने 2012 में कांग्रेस की जीती दस सीटों पर भी प्रत्याशी उतार दिए। देवबंद उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीते माविया अली को सपा ने अपना प्रत्याशी बना दिया।