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सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन अाज, रालोद से तालमेल के अासार नहीं

अब सिर्फ 'साइकिल और पंजा' साथ रहेंगे। 300 सीटों पर सपा लड़ेगी और 103 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ेगी। इसका मसौदा तैयार है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 20 Jan 2017 05:55 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jan 2017 09:09 AM (IST)
सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन अाज, रालोद से तालमेल के अासार नहीं
सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन अाज, रालोद से तालमेल के अासार नहीं

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और कांग्रेस का महागठबंधन नहीं होगा। अब सिर्फ 'साइकिल और पंजा' साथ रहेंगे। 300 सीटों पर सपा लड़ेगी और 103 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ेगी। इसका मसौदा तैयार है। मगर करीब आधा दर्जन सीटों पर अभी उधेड़बुन बरकरार है।

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शुक्रवार तकपूर्ण सहमति बन सकती है। इससे इतर, समाजवादी पार्टी ने पहले व दूसरे चरण की उन सीटों के प्रत्याशियों को फार्म ए व बी बांटना शुरू कर दिया है, जिन पर विवाद नहीं है। इन्हीं फार्मो के आधार पर जिला निर्वाचन अधिकारी संबंधित पार्टी का चुनाव चिह्न आवंटित करता है। तकरीबन 30 प्रत्याशियों को फार्म बांटे जा चुके हैं।

गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, मंत्री अहमद हसन और किरनमय नंदा के बीच गठबंधन की सीटों व चुनावी तैयारियों पर मंथन चलता रहा। इसके बाद पार्टी ने गठंबधन के मसौदे को अंतिम रूप दिए जाने का इंतजार किए बगैर प्रथम व द्वितीय चरण की उन सीटों के प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न हासिल करने के जरूरी फार्म ए व बी वितरित करना शुरू कर दिए। तकरीबन 30 लोगों को फार्म बांटे गए हैं। जिन लोगों को ये फार्म दिये जाने थे, उन्हें या उनके प्रतिनिधि को पहले से लखनऊ बुला लिया गया था।

कांग्रेस को 103 सीटें

समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के लिए 103 सीटें छोड़ने के साथ यह अधिकार दिया है कि वह अपने कोटे की सीटों पर चाहे अपने प्रत्याशी उतारे या किसी दल को अपने कोटे की सीटों पर चुनाव लड़ाए। सपा के राज्यसभा सदस्य किरनमय नंदा का कहना है कि हमने रालोद से समझौते की कोई बात नहीं की थी। कांग्रेस अपने कोटे की सीटों पर जिसके साथ चाहे चुनाव लड़ सकती है।

फार्म ए व बी बांटे गए

गठबंधन के बीच सपा ने प्रथम व द्वितीय चरण के लिए गैर विवादित सीटों पर तकरीबन 30 प्रत्याशियों को फार्म ए व बी बांट दिया है। इनमें बुढ़ाना से प्रमोद त्यागी, किठौर से शाहिद मंजूर, मेरठ शहर से रफीक अंसारी, हस्तिनापुर से प्रभूदयाल बाल्मीकि, सरधना से अतुल प्रधान, मुजफ्फरनगर से गौरव स्वरूप, सिवालखास से गुलाम मोहम्मद, अमरोहा से महबूब अली, हसनपुर से कमाल अख्तर, गुन्नौर से राम खिलाड़ी यादव, चंदौसी से लक्ष्मी गौतम और संभल से इकबाल महमूद के नाम प्रमुख हैं। हालांकि पार्टी ने उन लोगों की सूची जारी नहीं की है, जिन्हें फार्म ए व बी दिया गया है।

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खींचतान से बचने को बांट रहे फार्म

समाजवादी पार्टी प्रत्याशियों की सूची जारी किए बगैर फार्म ए व बी बांटकर एक साथ दो निशाने साध रही है। एक यह कि टिकट के दावेदारों में कम से कम खींचतान हो और दावेदारों का लखनऊ में जमावड़ा न लगे। दूसरा गठबंधन के घटक दल को पार्टी के अंदर एका होने का संदेश जाए।

मंत्री, विधायकों से मिले मुख्यमंत्री

गठबंधन व चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पांच कालिदास मार्ग स्थित आवास पर मंत्री आजम खां, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, नितिन अग्रवाल, नरेश अग्रवाल, उत्तराखंड के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी, विधायक सिगबतउल्ला, प्रो. रामगोपाल के भांजे व एमएलसी अरविंद यादव और ढेरों कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और चुनावी चर्चा भी की।

इन सीटों पर है पेंच

कांग्रेस-सपा गठबंधन की घोषणा में आधा दर्जन सीटों पर पेंच है। कांग्रेस अमेठी, रायबरेली की सीटों के लिएअलावा लखनऊ उत्तर और मध्य सीट चाहती है। लखनऊ कैंट सीट कांग्रेस चाहती थी मगर इस सीट पर मुलायम सिंह की पुत्रवधु अपर्णा यादव की दावेदारी के चलते कांग्रेस इसे छोड़ने पर राजी है। इसके बदले वह लखनऊ उत्तर व मध्य सीट चाहती है जबकि सपा लखनऊ (पूर्व) विधानसभा छोड़ना चाहती है।

सपा यह सीट अब तक जीत नहीं पाई है। इसके अलावा सपा अपने मंत्री गायत्री प्रजापति के लिए अमेठी सीट चाहती है। बदले में गौरीगंज सीट छोड़ने को तैयार है। सूत्रों का कहना है कि अदला-बदली में कांग्रेस रायबरेली, बछरांवा, तिलोई, हरचंदपुर और ऊंचाहार सीट मांग रही है। सरेनी पर भी दावा है। सपा सरेनी व ऊंचाहार सीट नहीं छोड़ना चाहती, ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडेय सरकार में मंत्री हैं।

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-मुख्यमंत्री को मुझसे कोई गुरेज नहीं था। उनका विवाद अमर सिंह से था, जिसकी वजह से उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया है और मुझे टिकट दिया जा रहा है-सिगबतुल्लाह अंसारी (मुख्तार अंसारी के सबसे बड़े भाई)

-हालात को देखते हुए चुनाव लड़ने का मन तो नहीं है, मगर जनता की बात भी माननी है। जसवंतनगर की जनता के आग्रह पर चुनाव तो लड़ना पड़ेगा -शिवपाल यादव

-हम पहले की तरह पूरी ताकत से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों का प्रचार करेंगे। गठबंधन वक्त की जरूरत होती है, अखिलेश यादव को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने में जुटेंगे-आजम खां

अतीक चुनावी मैदान से बाहर

बाहुबली अतीक अहमद को टिकट दिए जाने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नाराजगी का असर दिख रहा है। अब अतीक ने चुनाव मैदान से हटने की घोषणा करते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री कहेंगे तब भी चुनाव नहीं लड़ेंगे, क्योंकि उन्हें टिकट मिलते ही उनके निर्णय पर सवाल उठाया जाएगा। वह मुख्यमंत्री की छवि पर बट्टा नहीं लगने देना चाहते। कहा कि कानपुर कैंट से जिसे प्रत्याशी बनाया जाएगा, उसको जिताने का प्रयास किया जाएगा।

मीडिया पर वार करते हुए कहा कि आयोग चुनाव लड़ने से नहीं रोकता। अदालत नहीं रोकती है। जनता चुनकर सदन में भेजती है, फिर मीडिया का एक वर्ग माफिया ठहराता है। उनके खिलाफ मामले निजी कारणों के हैं जबकि दंगे के आरोपी संगीत सोम को भाजपा ने टिकट दिया, तब किसी मीडिया ने सवाल नहीं खड़ा किया।


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