जेल में बंद 84 वर्षीय बुजुर्ग के लिए अलबीर फाउंडेशन बनी देवदूत
मुंबई की एक गैर सरकारी संस्था अल बीर ने एक बुजुर्ग की जमानत के पैसे भरकर न सिर्फ उनकी जेल से रिहाई करवाई बल्कि कानूनी सलाह भी मुहैया करवाई। बुजुर्ग को पुलिस ने अपहरण और फिरौती मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
मुंबई। फिरौती मांगने और अपहरण के आरोप में सलाखों के पीछे पहुंचे 87 वर्षीय बुजुर्ग विजय दत्तात्रेय के लिए यहां की अलबीर फाउंडेशन देवदूत बनकर सामने आई। दरअसल विजय को एक लड़के के अपहरण और फिरौती मांगने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बुजुर्ग ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों को गलत बताया लेकिन पुलिस ने उसकी एक न सुनी और सलाखों के पीछे डाल दिया।
बुजुर्ग के पास अपनी जमानत के लिए पैसे नहीं थे, लिहाजा उसके पास कोई अन्य रास्ता भी नहीं बचा था। हालांकि गनीमत यह रही कि जेल में पुलिस ने विजय के साथ अच्छा सलूक किया और उसकी उम्र और हालत को देखते हुए उसको कंबल और बेहतर खाना मुहैया करवाया। विजय का कोई आपराधिक रिकाॅर्ड नहीं है और कुछ समय पहले ही उनके दिल का भी ऑपरेशन हुआ था।
बुजुर्ग के मुताबिक एक दिन अचानक पुलिसवाले उसके घर आए। उनके साथ एक हट्टाकट्टा युवक भी था। कुछ देर सामान्य बातचीत करने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। विजय यह जानकर हैरान थे कि उन्हें एक ऐसे युवक के अपहरण के मामले में गिरफ्तार किया गया है जो उनसे काफी लंबा और काफी हष्टपुष्ट था। लेकिन पुलिस के सामने उनकी कोई दलील काम नहीं कर सकी।
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कोर्ट में भी वह जमानत के 15 हजार रुपये नहीं भर सके, लिहाजा उन्हें जेल में ही रहना पड़ा। ऐसे में अलबीर फाउंडेशन उनके सामने देवदूत की तरह आ खड़ी हुई। इस गैर सरकारी संस्था ने विजय की जमानत के 15 हजार रुपये भरकर उसको जेल से रिहा करवा दिया। यह सं स्था ऐसे लोगों की मदद करती है जिनका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है और गलत आरोपों में जेल की सलाखों के पीछे हैं। जमानत की रकम भरने के बाद विजय को जेल से रिहा कर दिया गया है। इस फाउंडेशन ने न सिर्फ उनकी जमानत की रकम अदा करी बल्कि उनके लिए कानूनी सलाह भी दी।