तल्ख तेवरों से लैस कांग्रेस की कमान सोनिया गांधी के हाथ
केंद्र के खिलाफ आर-पार की लड़ाई को लेकर संसद में आक्रामक कांग्रेस की कमान एक बार फिर पार्टी अध्यक्ष सोनिया संभालेंगी। जबकि, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल पार्टी आक्रमण को धार देते नजर आएंगे। मानसून सत्र के पहले के दिन प्रधानमंत्री से 'सपाट चेहरे' से मिली सोनिया ने तेवर दिखाए, तो बुधवार
नई दिल्ली। केंद्र के खिलाफ आर-पार की लड़ाई को लेकर संसद में आक्रामक कांग्रेस की कमान एक बार फिर पार्टी अध्यक्ष सोनिया संभालेंगी। जबकि, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल पार्टी आक्रमण को धार देते नजर आएंगे। मानसून सत्र के पहले के दिन प्रधानमंत्री से 'सपाट चेहरे' से मिली सोनिया ने तेवर दिखाए, तो बुधवार को पार्टी उनके नेतृत्व में संसद भवन परिसर में धरने पर बैठेगी।
यही नहीं संसद में गतिरोध को लेकर पार्टी रणनीति को लेकर उठे सवालों के बीच 'जवाबदेही' की बात कह कर सोनिया ने स्पष्ट कर दिया कि इस्तीफे से कम पर कांग्रेस राजी नहीं है।
मानसून सत्र के पहले दिन अपनी रणनीति की सफलता के बाद पार्टी सांसदों के साथ बैठक में निर्णय लिया गया कि पार्टी बुधवार को लोकसभा और राज्यसभा में व्यापम मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश करेगी। जबकि, कांग्रेस गुरुवार को ललितगेट मामले पर स्थगन प्रस्ताव लेकर आने की तैयारी में है।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में पार्टी नेता शशि थरूर ने कांग्रेस के विरोध की राजनीति को लेकर सवाल उठाए। थरूर का कहना था कि कांग्रेस को संसद बाधित करने की भाजपा शैली वाली राजनीति से बचना चाहिए। हालांकि, उनके इस मत को लेकर पार्टी में तीखा विरोध हुआ। बाद में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम सरकार को जवाबदेही के लिए मजबूर करेंगे। दागी मंत्रियों के इस्तीफे तक संसद नही चलने देंगे।
गौरतलब है कि ललितगेट में विदेश मंत्री के इस्तीफे पर अड़ी कांग्रेस विपक्ष को एकजुट नहीं कर पायी है। ऐसे में पार्टी को लगता है कि आक्रामक तेवरों के जरिए न सिर्फ वह अपनी बात प्रभावी ढंग से रख पाएगी बल्कि, सफल रहने पर शेष विपक्ष भी उसके साथ आ सकता है। इस रणनीति के तहत बुधवार को पार्टी की युवा इकाई संसद को बाहर से घेरेगी। वहीं सोनिया की अगुवाई में दोनों सदनों के सांसद संसद परिसर में धरने पर बैठेंगे।
सदन के कामकाज पर असर
सरकार को लेकर कांग्रेस की तल्खी का असर सदन के कामकाज पर पड़ता दिख रहा है। कांग्रेस की आक्रामकता के कारण राज्यसभा की कार्यमंत्रणा समिति में सदन में उठाए जाने वाले मुद्दों का समय देने को लेकर बात नही बन पा रही है। छोटे-छोटे मामलों को लेकर पार्टी के द्वारा सवाल उठाने के कारण संसद में चर्चा के लिए प्रस्तावित मामलों को समय देने व इनकी वरीयता को लेकर भी पेंच फंस रहा है।