Move to Jagran APP

सोनिया का विपक्षी महागठबंधन की अध्यक्ष बनना लगभग तय

17 पार्टियों के नेताओं के साथ सोनिया गांधी की बैठक के बाद प्रस्तावित गठबंधन की रूपरेखा पर अनौपचारिक चर्चाएं शुरू हो गईं हैं।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Sun, 28 May 2017 02:27 AM (IST)Updated: Sun, 28 May 2017 10:05 AM (IST)
सोनिया का विपक्षी महागठबंधन की अध्यक्ष बनना लगभग तय
सोनिया का विपक्षी महागठबंधन की अध्यक्ष बनना लगभग तय

संजय मिश्र, नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव के बहाने विपक्षी महागठबंधन की रखी जा रही नींव के साथ ही प्रस्तावित गठबंधन के राजनीतिक ढांचे की रूपरेखा को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई है। गैर एनडीए विपक्ष की 17 पार्टियों ने सोनिया गांधी की बुलाई पहली बैठक में जिस तरह के संकेत दिए उससे सोनिया का विपक्षी महागठबंधन की अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है। महागठबंधन के संयोजक पद के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनसीपी प्रमुख शरद पवार सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।

loksabha election banner

विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने सोनिया की लंच बैठक में भाजपा-एनडीए की राजनीतिक ही नहीं विचारधारा को चुनौती देने के लिए की गई पहल का जिस तरह खुलकर समर्थन किया उससे साफ है कि गठबंधन की अध्यक्षता उनको सौंपे जाने पर आम राय बन रही है। वैसे भी सोनिया यूपीए गठबंधन की अध्यक्ष हैं। 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद सोनिया ने कांग्रेस की अगुआई में यूपीए की कमान संभाली थी।

राष्ट्रपति चुनाव पर विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भले अभी महागठबंधन के राजनीतिक ढांचे की रूपरेखा नहीं बनी है। मगर इसमें संदेह की गुंजाइश नहीं कि सोनिया इसकी कमान संभालेंगी। गठबंधन का अध्यक्ष ही विपक्ष का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होगा यह जरूरी नहीं। इस लिहाज से भी सोनिया का चेहरा सभी विपक्षी पार्टियों को मुफीद बैठता है। उनका कहना था कि गठबंधन की अध्यक्षता में नेता का कद मायने रखता है। क्योंकि तमाम दलों के नेताओं को उनकी अगुआई कबूल करनी होती है। इसलिए शरद पवार से लेकर नीतीश कुमार हों या ममता बनर्जी से लेकर मायावती किसी को सोनिया की अगुआई में काम करने में दिक्कत नहीं होगी।

विपक्षी खेमे के इस सूत्र के अनुसार महागठबंधन की छतरी तले तमाम दलों को जोड़ने और राजनीतिक गतिविधियों के संचालन के लिए अहम संयोजक पद के लिए भी संभावित चेहरों पर अनौपचारिक चर्चा हो रही है। नीतीश कुमार और शरद पवार इनमें संयोजक पद के लिए सबसे बेहतर चेहरे के रुप में आंके जा रहे। राजनीतिक अनुभव के साथ सियासत के माहिर खिलाड़ी पवार की तमाम दलों के नेताओं के साथ निजी बेहतर ताल्लुकात हैं तो उनकी वरिष्ठता भी उनके पक्ष में जाती है। मगर पवार की उम्र और सेहत आड़े आ सकती है क्योंकि महागठबंधन के संयोजक की राजनीतिक सक्रियता कहीं ज्यादा होगी। खासकर यह देखते हुए कि इस गठबंधन का मुकाबला नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली भाजपा-एनडीए की आक्रामक सियासत से होना है। इस लिहाज से नीतीश के महागठबंधन का संयोजक बनने की संभावना ज्यादा है।

कांग्रेस में सोनिया और राहुल से तो उनके अच्छे रिश्ते हैं ही। दूसरे दलों के नेताओं के साथ समन्वय में नीतीश के लिए कोई बाधा नहीं। इनदलों के नेताओं को भी नीतीश से सहज संवाद करने में कोई दिक्कत नहीं। संयोजक पद के लिए तीसरा नाम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। मगर वामदलों के साथ उनके रिश्ते बेहद तीखे रहे हैं और पश्चिम बंगाल की राजनीति के मद्देनजर वामपंथियों से सीधा संवाद उनके लिए मुफीद नहीं बैठता। इसके अलावा दीदी का मिजाज भी इस अहम पद में उनकी दावेदारी के आड़े आ सकता है। जबकि नीतीश के लिए अखिलेश और मायावती हों या फिर वामपंथी या ममता किसी से संवाद में कोई अड़चन नहीं। बहरहाल महागठबंधन की औपचारिक रुप रेखा तो राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद ही सामने आएगी।

यह भी पढ़ें: पवार NDA के राष्ट्रपति प्रत्याशी बनें तो बन सकती है आम सहमति - अठावले

यह भी पढ़ें: राष्ट्रपति उम्मीदवार पर विपक्ष से चर्चा करेगी भाजपा : शाह


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.