कालाहांडी से लेकर श्रीनगर तक आखिर कब तक शर्मसार होती रहेगी इंसानियत
मोहम्मद अब्बास नाम के नाम के जवान की 29 जनवरी को सकीना बेगम का पठानकोट में हृदय गति रुकने से निधन हो गया था।
नई दिल्ली, मनीष नेगी। आपको ओडिशा के कालाहांडी की वो घटना तो याद ही होगी जिसमें दाना मांझी नाम के शख्स को अपनी पत्नी के शव को कंधे पर रखकर 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था। प्रशासन की बेरूखी की ये इकलौती कहानी नहीं है। ऐसी ही एक घटना जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में हुई है। यहां सेना के एक जवान और उसके भाई को अपनी 55 साल की मां का शव लेकर 10 फुट बर्फ में 32 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा।
मोहम्मद अब्बास नाम के नाम के जवान की 29 जनवरी को सकीना बेगम का पठानकोट में हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। भारतीय सैनिक मोहम्मद अब्बास पठानकोट में हैं। अब्बास अपनी मां को साथ में ही रखते थे।
अगले दिन अब्बास अपनी मां के शव को लेकर कुपवाड़ा ज़िले के चौकीबाल में पैतृक गांव करनाह के लिए निकले। भारी बर्फबारी के कारण अब्बास अपनी मां के शव के साथ वहीं फंसे रहे। अब्बास ने श्रीनगर पहुंचने के बाद सरकारी मदद का घंटों इंतजार किया, लेकिन ख़राब मौसम के कारण सब कुछ फंसा रहा।
आख़िर में वह अपने भाई के साथ मां का शव लेकर श्रीनगर से पैदल ही निकल पड़े। श्रीनगर से उनका गांव 120 किलोमीटर दूर है। अब्बास ने हार नहीं मानी और 32 किलोमीटर दोनों भाई मां के शव को लेकर 10 फुट बर्फ़ में धंसकर चलते रहे। बाद में आस-पास के गांववालों ने उनकी मदद की और तब जाकर वो शव के साथ गांव पहुंचे।
मोहम्मद अब्बास की तरह और भी कई घटनाएं हैं जिसने इंसानियत को शर्मसार किया है।
कम दर्दनाक नहीं बालासोर की घटना
ओडिशा के ही बालासोर की कहानी कम दर्दनाक नहीं है। सोरो स्टेशन पर ट्रेन से गिरकर एक महिला की मौत हो गई। स्टेशन पर पुलिस ने पोस्टमार्टम करा दिया और फिर लाश को उसके हाल पर छोड़ दिया। घर वालों को लाश लेकर जाना था लेकिन पुलिसवालों ने कोई इंतजाम नहीं कराया। एंबुलेंस मिली नहीं तो परिवार वालों ने लाश को गठरी बनाकर बांस में बांध दिया और चल पड़े। करीब तीन किलोमीटर तक लाश को ऐसे ही ले जाया गया।
जबलपुर में पानी के ऊपर निकली अंतिम यात्रा
मध्य प्रदेश के जबलपुर से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर बेहरी गांव में दबंगों ने एक शव यात्रा को भी निकलने का रास्ता नहीं दिया जिसके चलते गमगीन परिजनों को तालाब पारकर शव यात्रा निकालनी पड़ी।