.तो सरकार और संगठन दोनों के मुखिया होंगे नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ अब संभवत: पार्टी अध्यक्ष की कमान भी होगी। 10 अप्रैल को होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पहले ही वर्तमान अध्यक्ष शरद यादव ने स्पष्ट कर दिया गया है कि अध्यक्ष पद की दौड़ में नहीं हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ अब संभवत: पार्टी अध्यक्ष की कमान भी होगी। 10 अप्रैल को होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पहले ही वर्तमान अध्यक्ष शरद यादव की ओर से जारी बयान में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि वह इस बार दौड़ में नहीं हैं। इसे परोक्ष रूप से नीतीश कुमार के लिए पद खाली करने के रूप में देखा जा रहा है। वैसे भी पार्टी संविधान के अनुसार शरद को फिर से अध्यक्ष बनने के लिए संशोधन कराना पड़ता।
सोमवार को एक बयान जारी कर पार्टी महासचिव के सी त्यागी ने सार्वजनिक किया कि शरद यादव इस बार अध्यक्ष के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे। दैनिक जागरण से बातचीत में त्यागी ने कहा कि संविधान में दो बार ही अध्यक्ष रहने का प्रावधान था। पिछली बार उसमें संशोधन किया गया और तब शरद यादव लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे। इस बार उन्होंने खुद ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। शरद 2006 से पार्टी के शीर्ष पद पर थे। वह अभी भी राज्यसभा में पार्टी के नेता हैं।
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सूत्रों के अनुसार माना जा रहा है कि इस बार नीतीश कुमार को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जा सकता है। दरअसल नीतीश पार्टी के सबसे लोकप्रिय नेता होने के साथ साथ निर्णायक भी हैं। ऐसे में संगठन की कमान भी हाथ में होने पर निर्णय की प्रक्रिया भी तेज होगी। पिछले दिनों जहां लोकदल के विलय का फैसला हुआ है वहीं आने वाले दिनों मे विभिन्न राज्यों में रणनीतिक फैसले हो सकते हैं। झारखंड में झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी और आजसू के सुदेश महतो से भी बात हो सकती है। सूत्र बताते हैं कि नीतीश 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी गोटियां बिछा देना चाहते हैं। लिहाजा नीतीश के हाथ कमान देने का मन लगभग बन गया है। 10 अप्रैल को राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई गई है जहां नीतीश के नाम का ऐलान हो सकता है।
ध्यान रहे कि शरद पहली बार 2006 में अध्यक्ष बने थे तो उस वक्त नीतीश का समर्थन प्राप्त था। उसके बाद भी लगातार नीतीश शरद के साथ खड़े रहे और इस क्रम में शरद ने जार्ज फर्नाडिस को भी परास्त किया था। हालांकि संविधान के अनुसार पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल दो साल का होता है लेकिन चुनावी कार्यक्रमों की वजहों से इस बार भी देर हुई। बहरहाल चुनाव आयोग की ओर से याद दिलाने के बाद पार्टी ने आस्वस्त किया था कि 30 जून से पहले इसे पूरा कर लिया जाएगा। त्यागी ने बताया कि 10 अप्रैल को ही संगठन चुनाव का काम पूरा हो जाएगा।
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