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पट्टे या बटाई पर खेती करने वालों को भी मिलेगा योजनाओं का लाभ

किसानों को मिलने वाली सभी सुविधाओं का दायरा पट्टे या बटाई व्यवस्था के तहत जमीन लेकर खेती किसानी करने वालों बढ़ाने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद वास्तव में खेती करने वालों को सब्सिडी व फसल बीमा के लाभ पहुंचाना है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2016 07:42 AM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2016 08:00 AM (IST)
पट्टे या बटाई पर खेती करने वालों को भी मिलेगा योजनाओं का लाभ

नई दिल्ली। किसानों को मिलने वाली सभी सुविधाओं का दायरा पट्टे या बटाई व्यवस्था के तहत जमीन लेकर खेती किसानी करने वालों बढ़ाने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद वास्तव में खेती करने वालों को सब्सिडी व फसल बीमा के लाभ पहुंचाना है। इसके जरिये वह देश में किसानों की आत्महत्याएं रोकना चाहती है। इसके लिए सरकार बजट में एक खास कानून बनाने का एलान कर सकती है।

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सरकार चाहती है कि कानून बनाकर किसानों को मिलने वाली सब्सिडी व फसल खराब हो जाने पर दी जाने वाली राहत का फायदा उनको भी मिले जो पट्टे या बटाई पर खेत लेकर किसानी करते हैं। मौजूदा नियमों के मुताबिक यह लाभ अभी उन लोगों को ही मिलता है, जिनके नाम जमीन होती है। बटाई या पट्टे पर जमीन लेकर खेती करने वालों को यह लाभ नहीं मिलता।

इसका नुकसान यह होता है कि जब किसी भी तरह से फसल खराब होती है तो पट्टे पर खेती करने वाले पूरी तरह घाटे में रहते हैं। यही वजह है कि किसानों की आत्महत्या के मामलों में इन लोगों की संख्या अधिक होती है। पिछले तीन साल में मानसून की खराब स्थिति के चलते किसानों की आत्महत्या के मामले भी बढ़े हैं। अकेले महाराष्ट्र में साल 2015 में करीब 3,200 किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आए।

सरकार की मानें तो आत्महत्या करने वालों में 10 फीसद ही जमीन के मालिक हैं, जबकि बाकी बटाईदार या पट्टे पर खेती करने वाले हैं। सरकारी सूत्रों की मानें तो फिलहाल, बजट में बटाईदारी या काश्तकारी को लेकर नए मॉडल ड्राफ्ट कानून का एलान हो सकता है। प्रस्तावित मसौदे के तहत बटाईदारों को खेती-बाड़ी के लिए तमाम सरकारी योजनाओं बैंकों से रियायती कर्ज, खाद व बीज पर सब्सिडी मिलने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही, प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियों में बीमा व मुआवजे का फायदा मिलेगा।

इसके अतिरिक्त प्रस्तावित ड्रॉफ्ट कानून के आधार पर राज्यों को कानून बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि जब बटाईदारों के लिए मॉडल ड्राफ्ट कानून पर चर्चा शुरू हुई तो कहा गया है कि ये उद्योगपतियों के लिए जमीन अधिग्रहण कानून का विकल्प होगा। लेकिन सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि प्रस्तावित कानून का मकसद खेती-बाड़ी को बढ़ावा देना है ना कि उद्योग-धंधे को।

मॉडल ड्राफ्ट कानून में बटाईदार व जमीन के मालिक के बीच एग्रीमेंट कराने का प्रस्ताव है। एग्रीमेंट को रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत करने का सुझाव है। अगर ऐसा होता है तो बटाईदारों का रिकॉर्ड उपलब्ध होगा। नतीजतन, उन्हें सरकारी योजनाओं में शामिल करने में आसानी होगी। हालांकि, अभी भी कई राज्यों में बटाईदारी पर रोक है। कुछ राज्यों में सेना के जवानों, विधवाओं व विकलांगों को जमीन बटाई पर देने की अनुमति है। यही वजह है कि देश में बटाईदारों का आधिकारिक आंकड़ा केवल चार फीसद ही है। जबकि अनौपचारिक तौर पर देश में खेती-बाड़ी करने वालों में 90 फीसद बटाईदार हैं।

केंद्र ने देश भर में कृषि उत्पादों के बेरोकटोक कारोबार के लिए एपीएमसी (कृषि उत्पाद मार्केटिंग कमेटी) मॉडल कानून पेश किया था, लेकिन ज्यादातर राज्यों ने इसके मुताबिक अपना कानून तैयार नहीं किया है। लिहाजा आशंका जताई जा रही है कि नए मॉडल ड्राफ्ट कानून का भी कहीं यही हाल न हो। बताया जा रहा है कि बजट पारित होने के महीने भर के भीतर भाजपा शासित राज्यों में इसकी शुरुआत हो सकती है। पढ़ेंः मूंगफली की फसल पर उकठा का कहर


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