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एस. जयशंकर ने संभाला विदेश सचिव का पद, हटाई गईं सुजाता

ओबामा दौरे के खत्‍म होने के ठीक बाद नए विदेश सचिव नियुक्‍त किए गए एस. जयशंकर ने कार्यभार संभल लिया है। उन्‍होंने सुजाता सिंह का स्‍थान लिया है जिन्‍हें कार्यकाल खत्‍म होने के पहले ही उनके पद से हटा दिया गया है।

By vivek pandeyEdited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 09:27 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 03:07 PM (IST)
एस. जयशंकर ने संभाला विदेश सचिव का पद, हटाई गईं सुजाता

नई दिल्ली। ओबामा दौरे के खत्म होने के ठीक बाद नए विदेश सचिव नियुक्त किए गए एस. जयशंकर ने कार्यभार संभल लिया है। गुरुवार सुबह साढ़े नौ बजे जयशंकर विदेश मंत्रालय पहुंचे। उन्होंने सुजाता सिंह का स्थान लिया है जिन्हें कार्यकाल खत्म होने के पहले ही उनके पद से हटा दिया गया है।

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पद संभालने के बाद एस. जयशंकर ने कहा कि उन्हें बहुत अहम जिम्मेदारी मिली है और इससे वे सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकताएं ही उनकी प्राथमिकता होगी। कार्यभार संभालने के बाद जयशंकर ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की।

इस फैसले के साथ ही मोदी सरकार ने विदेश नीति को टॉप गीयर में डाल दिया है। दशकों पुरानी चली आ रही गुटनिरपेक्षता की नीति से आगे बढ़कर सरकार ने विश्व पटल पर बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी का संकेत दे दिया है।

बुधवार को ही सरकार ने अमेरिका में भारत के राजदूत एस. जयशंकर को नया विदेश सचिव नियुक्त कर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया था।

सुजाता सिंह के कार्यकाल में कटौती के साथ ही सरकार ने तत्काल प्रभाव से जयशंकर को इस पद पर नियुक्त कर भारतीय कूटनीति में अहम बदलाव का संकेत दे दिया है। वैसे सुजाता सिंह को इसके बदले कोई और अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। प्रशासनिक हलकों में उन्हें केंद्रीय सूचना आयुक्त बनाए जाने की चर्चा है।

नाभिकीय कूटनीति के विशेषज्ञ हैं जयशंकरः

नई दिल्ली में जन्मे 60 वर्षीय जयशंकर देश के तेजतर्रार कूटनीतिज्ञों में गिने जाते हैं। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से नाभिकीय कूटनीति में विशेषज्ञता के साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति का अध्ययन किया है। इससे पहले 2013 में भी विदेश सचिव के लिए उनका नाम काफी आगे चल रहा था, लेकिन आखिर में तत्कालीन मनमोहन सरकार ने सुजाता सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी।

माना जा रहा है कि मोदी की सफल अमेरिका यात्रा व ओबामा को गणतंत्र दिवस के अतिथि के तौर पर भारत लाने के पीछे जयशंकर की अहम भूमिका थी। असैन्य परमाणु समझौते को लेकर भारत का जो दल अमेरिका से बात कर रहा था, जयशंकर उसके भी सदस्य थे। माना जा रहा है कि उनकी इन उपलब्धियों से प्रभावित होकर मोदी सरकार ने उन्हें नया विदेश सचिव बनाने का फैसला लिया।

जयशंकर के पिता के. सुब्रह्मण्यम देश के जानेमाने सामरिक विश्लेषक व नौकरशाह थे। अमेरिका में राजदूत बनाए जाने से पहले जयशंकर चीन, सिंगापुर और चेक गणराज्य में भारत के राजदूत रह चुके हैं।

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