आगोश में लेने के लिए मौत रात भर करती रही इंतजार
बिहार के एक परिवार ने अपने छह वर्ष के लाडले विक्की कुमार उर्फ बाबू को पाकिस्तानी गोलाबारी में खो दिया।
जागरण संवाददाता, जम्मू । पाकिस्तानी गोलाबारी से बचने के लिए गड्ढे में छुप कर जान बचाने की कोशिश तो की, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। बिहार के एक परिवार ने अपने छह वर्ष के लाडले विक्की कुमार उर्फ बाबू को पाकिस्तानी गोलाबारी में खो दिया।
जीएमसी (गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज ) में पिता वीरेंद्र कुमार और मां अरुणा देवी का रो-रो कर बुरा हाल था। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि बाबू अब इस दुनिया में नहीं है। पिता वीरेंद्र पांच वर्ष पूर्व बिहार के अररिया से जम्मू में मजदूरी की तलाश में आए थे। उनका परिवार कानाचक्क सेक्टर के ललियाल में रहता है। उनके कुछ और रिश्तेदार भी वहीं पर रहते हैं। रविवार को अचानक पाकिस्तान की गोलाबारी शुरू हो गई। नजदीक में न कोई बंकर था और न ही छिपने की जगह। पिता ने फावड़े से जमीन खोद कर एक गड्ढा बना लिया और इसमें पूरा परिवार छिप कर अपनी सलामती की दुआ करता रहा। सोमवार तड़के फायरिंग कम हुई तो लगा कि हालात सामान्य हो गया है।
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मां अरुणा ने अपने बच्चों के लिए चाय बनाई और पूरा परिवार एक साथ बैठ कर चाय पी रहा था। तभी एक गोला झुग्गियों के पास गिरा और उसका एक छर्रा बाबू की कनपट्टी पर लगा। वीरेंद्र ने बच्चे को गोद में ले लिया, लेकिन वह लंबी सांसें ले रहा था। गोलाबारी में बाबू की बुआ गंगणिया को भी पैर में छर्रा लगा, जिससे वह भी घायल हो गई। गांव के एक युवक ने दोनों को मोटरसाइकिल से जीएमसी अस्पताल पहुंचाया। प्राथमिक जांच में ही डॉक्टरों ने बाबू को मृत लाया घोषित कर दिया। बाबू का बड़ा भाई सुमुख और छोटा भाई भोला अपने बाबू की मौत पर गमगीन हैं।