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मच्छल फर्जी मुठभेड़ कांड: कर्नल समेत छह सैन्य कर्मियों को आजीवन कारावास

बहुचर्चित मच्छल फर्जी मुठभेड़ कांड में दोषी पाए गए एक कर्नल और एक मेजर समेत छह सैन्यकर्मियों की आजीवन कारावास का उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने सोमवार को अनुमोदन कर दिया। इस साल फरवरी में उन्होंने आरोपी सैन्य अधिकारियों की सजा के अनुमोदन की फाइल को इस

By Manoj YadavEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2015 06:28 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2015 01:50 AM (IST)
मच्छल फर्जी मुठभेड़ कांड: कर्नल समेत छह सैन्य कर्मियों को आजीवन कारावास

श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। बहुचर्चित मच्छल फर्जी मुठभेड़ कांड में दोषी पाए गए एक कर्नल और एक मेजर समेत छह सैन्यकर्मियों की आजीवन कारावास का उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने सोमवार को अनुमोदन कर दिया। इस साल फरवरी में उन्होंने आरोपी सैन्य अधिकारियों की सजा के अनुमोदन की फाइल को इस मामले में लिप्त दो नागरिकों की भूमिका तय करने के आदेश के साथ लौटा दिया था। उत्तरी कमान प्रमुख ने कहा था कि अगर सैन्य अधिकारी दोषी हैं तो उनके साथ इस अपराध में शामिल अन्य दो लोग कैसे दोषमुक्त हो सकते हैं। इस मामले में लिप्त दो नागरिक लोन व हमीद अभी भी हिरासत में हैं।

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रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल एसडी गोस्वामी ने बताया कि सभी तथ्यों का संज्ञान लेने के बाद उत्तरी कमान प्रमुख ने मच्छल कांड में कोर्ट मार्शल की कार्रवाई में सुनाई गई सजा का अनुमोदन कर दिया है। सजा पाने वालों में कर्नल दिनेश पठानिया, मेजर उपेंद्र, हवलदार देवेंद्र कुमार, लांस नायक लखमी व अरुण कुमार और राइफलमैन अब्बास हुसैन शामिल हैं। मच्छल फर्जी मुठभेड़ कांड 29 अप्रैल, 2010 को हुआ था। इसमें शहजाद अहमद खान, रियाज अहमद लोन व मुहम्मद शफी लोन नामक तीन युवकों को विदेशी आतंकी बताकर सीमा पर मार गिराया गया था। पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की थी। सेना ने भी अपनी जांच की और चार राजपूत रेजिमेंट के कर्नल डीके पठानिया, मेजर उपेंद्र सिंह समेत छह सैन्यकर्मियों को जनरल कोर्ट मार्शल में दोषी ठहराया गया।

गौरतलब है कि मच्छल फर्जी मुठभेड़ कांड की पोल खुलते ही पूरे कश्मीर में तनाव पैदा हो गया था। वर्ष 2010 में वादी में हुए हिंसक प्रदर्शनों में इस घटना ने आग में घी का काम किया था। पुलिस ने आठ सैन्यकर्मियों समेत 11 लोगों को आरोपी बनाकर अदालत में जून, 2010 को चालान पेश कर दिया था, लेकिन अदालत ने सेना के आग्रह पर आरोपी सैन्यकर्मियों के खिलाफ जनरल कोर्ट मार्शल की कार्रवाई की अनुमति दी थी। कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया 23 दिसंबर, 2013 को शुरू हुई जो सितंबर, 2014 में पूरी हुई।


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