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बांग्लादेश से समझौता, छह दशक बाद मिलेगा देश का नाम!

भारत-बांग्लादेश के बीच विवादित छींटमहल क्षेत्र से जुड़ी भूमि सीमा समझौते पर राज्यसभा की मुहर लग गई, अब लोकसभा से स्वीकृत कराना है। संसद में विधेयक के पारित होने के साथ दोनों देशों में स्थित छींट महल के कुल 51,584 निवासी अब एक तय देश के नागरिक होंगे।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 06 May 2015 09:24 PM (IST)Updated: Wed, 06 May 2015 09:39 PM (IST)
बांग्लादेश से समझौता, छह दशक बाद मिलेगा देश का नाम!

कोलकाता । भारत-बांग्लादेश के बीच विवादित छींटमहल क्षेत्र से जुड़ी भूमि सीमा समझौते पर राज्यसभा की मुहर लग गई, अब लोकसभा से स्वीकृत कराना है। संसद में विधेयक के पारित होने के साथ दोनों देशों में स्थित छींट महल के कुल 51,584 निवासी अब एक तय देश के नागरिक होंगे। अब छींटमहल के लोगों के घर या खेत या तो भारत में होंगे या बांग्लादेश में। वर्क परमिट अब इतिहास होगा। अपनी जमीन पर जाने के लिए अब लोगों को सुरक्षा बलों के वर्क परमिट की जरूरत नहीं होगी। अदला-बदली के बाद निवासी जहां के नागरिक होंगे, वहां का पूरा अधिकार प्राप्त कर सकेंगे।

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छह दशकों की यातना

1947 में आजादी के बाद बंटवारे के समय हड़बड़ी में हुए सीमांकन से छीटमहल (एनक्लेव) का जन्म हुआ। 1971 में बांग्लादेश के उदय के तीन साल बाद 1974 में भारत-बांग्लादेश ने सरहद से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भू-सीमा समझौते पर दस्तखत किए। बांग्लादेश लंबे समय से यह समझौता चाहता था। बांग्लादेश की संसद ने इसे पहले ही मंजूरी दे दी थी। लेकिन भारतीय पक्ष में पश्चिम बंगाल सहित चारों राज्यों में राजनीतिक असहमति के चलते यह लटका रहा। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से आखिर दशकों से त्रिशंकु बने लोगों को जमीन नसीब होगी।

क्या है भू-सीमा समझौता

बांग्लादेश के साथ भू-सीमा समझौते के तीन पक्ष हैं। पहला पक्ष है तीन जगहों पर बांग्लादेश से सटी कुल 6.1 किलोमीटर की विवादित सीमा। इसमें निलफामारी (बांग्लादेश)- मुहुरी नदी (पश्चिम बंगाल), फेनी (बांग्लादेश)-बलोनिया (त्रिपुरा) और लाठीतिला (बांग्लादेश)-दुमाबाड़ी (असम) का क्षेत्र शामिल हैं। दूसरा पक्ष में 162 भू-भागों की अदला-बदली और तीसरा है 5000 एकड़ से अधिक विपरीत कब्जे वाली जमीन। समझौते के तहत भारत कुल 17,158 एकड़ वाले 111 भू-भाग 37, 369 नागरिकों के साथ बांग्लादेश के हवाले करेगा। इसमें 12 भू-भाग बांग्लादेश के कुरीग्राम, 59 लालमोनिरहाट, चार निलफामारी और 36 पंचग्राह इलाके में स्थित हैं। बदले में बांग्लादेश पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में स्थित 7110 एकड़ वाले 51 भू-भाग 14215 नागरिकों के साथ भारत के हवाले करेगा।

विपरीत कब्जों (एडवर्स पजेशन) के मामले में भारत को 2,777.038 एकड़ जमीन मिलेगी, जबकि वह 2,267.682 एकड़ जमीन बांग्लादेश के सुपुर्द करेगा। छीट महल के मामले में जो जमीन बांग्लादेश को सौंपी जानी है, वह उसके कब्जे में पहले से ही है और इसे बांग्लादेश के हवाले करना महज कागजी औपचारिकता है। साथ ही जो जमीनें भारत के विपरीत कब्जे में हैं, वे सभी औपचारिक रूप से भारत के पास आ जाएंगी। विपरीत कब्जा वह जमीन है, जो भारतीय सीमा से सटी हैं और भारत के नियंत्रण में है। लेकिन कानूनन वह बांग्लादेश का हिस्सा है। ऐसा ही बांग्लादेशी विपरीत कब्जों वाली जमीन का भी हाल है।

बदलेंगे मानचित्र भी

समझौता लागू होने के बाद भारत और बांग्लादेश दोनों के मानचित्र बदल जाएंगे। छीट महल से कुछ भारतीय नागरिक मुख्यभूमि वापस लौटेंगे। साथ ही, क्षेत्र के विलय के बाद कुछ संख्या में उन लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी, जो अभी बांग्लादेशी नागरिक हैं।

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