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रायबरेली व अमेठी में ठप हो गईं अहम योजनाएं

रायबरेली, [विमल पाण्डेय]। देश में अच्छे दिन आने की आहट नरेंद्र मोदी सरकार के नारों में तो दिखी लेकिन संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय रायबरेली में योजनाएं ठप हैं। सोनिया के संसदीय क्षेत्र में तमाम बड़ी योजनाएं दम तोड़ती दिख रही हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के ख्वाबों में सरकार के बदलाव का अड़ंगा दिख रहा है। कागजी बाजीग

By Edited By: Published: Fri, 08 Aug 2014 01:12 PM (IST)Updated: Fri, 08 Aug 2014 01:12 PM (IST)
रायबरेली व अमेठी में ठप हो गईं अहम योजनाएं

रायबरेली, [विमल पाण्डेय]। देश में अच्छे दिन आने की आहट नरेंद्र मोदी सरकार के नारों में तो दिखी लेकिन संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय रायबरेली में योजनाएं ठप हैं। सोनिया के संसदीय क्षेत्र में तमाम बड़ी योजनाएं दम तोड़ती दिख रही हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के ख्वाबों में सरकार के बदलाव का अड़ंगा दिख रहा है। कागजी बाजीगरी में प्रदेश और केंद्र सरकार के पाले में धन की उपलब्धता से लेकर अन्य बारीकियों के पेंच हैं।

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सोनिया गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र के लालगंज में 500 करोड़ की लागत से महिला विश्वविद्यालय के निर्माण की आधारशिला सरकार के अंतिम वर्ष में रखी थी। भूमि अधिग्रहण में भी कोई अड़चन इसलिए नहीं आई कि जमीन सरकारी खाते की रही। चुनाव के बाद 500 करोड़ की इस कार्य योजना में अभी बड़े पेंच दिख रहे हैं। फिलहाल योजना को धरातल पर लाने में ढिलाई स्थानीय प्रशासन से लेकर बड़े स्तर पर दिख रही है।

रायबरेली और अमेठी जिला के लिए दो रेल परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण को लेकर भारत सरकार की ओर से बनाए गए नए अधिनियम के फंसे पेंच का लोकसभा चुनाव के बाद भी नहीं हल हो सका है। प्रस्तावों के गजट प्रकाशन प्रक्रिया भी भूमि अध्याप्ति विभाग ने समाप्त कर दी थी। गजट का प्रकाशन तब तक नहीं हो सकता है जब तक कि पुरानी आपत्तियों को निस्तारण न हो जाए। विभाग के अनुसार अब शासन के दिशा निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है। कांग्रेस सरकार के दौरान राहुल गांधी अपने पिता के अरमानों को फलीभूत करने के लिए दो रेल परियोजनाएं रायबरेली और अमेठी के लिए लाए थे। नई सरकार के आने के बाद यूपीए सरकार का भू-अधिनियम कानून आड़े आ रहा है।

ऐसे बनी थी कार्य योजना

रायबरेली-अकबरपुर वाया महाराजगंज रेल लाइन और ऊंचाहार-सलोन-अमेठी रेल लाइन की 665 करोड़ की कार्य योजना पर भूमि अधिग्रहण को लेकर रेलवे प्रशासन ने जमीन जिला भूमि अध्याप्ति विभाग को उपलब्ध करा कर प्रस्ताव दिए थे। दूसरी ओर भारत सरकार के भूमि अधिग्रहण को लेकर लागू किए गए नए कानून के आधार पर पूरी प्रक्रिया ही नई विसंगतिओं का शिकार हो गई। सूत्रों की मानें तो भूमि अधिग्रहण में गजट का प्रकाशन अनिवार्य कानूनी प्रक्रिया है। इसके प्रकाशन में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। इसीलिए भूमि अध्याप्ति विभाग भी इन बड़ी रेल परियोजनाओं के क्रियान्वयन में समस्त कार्यो को बहुत ही सावधानी से कर रहा है। जिला अध्याप्ति अधिकारी डीके मिश्र ने बताया कि गजट का प्रकाशन सभी आपत्तियों के समाप्त होने के साथ प्रदेश सरकार की ओर से कराई जाने वाली समस्त कार्यवाई के बाद ही अनुमति मिलने पर कराई जाएगी।

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