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सियाचिन: नहाना मना है, शरीर पर ही जम जाएगा पानी

सियाचिन में तैनात जवानों की क्षमता सुपरहीरो से कम नहीं होती। वे माइनस 50 डिग्री तापमान में मुस्तैद रहते हैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2016 05:24 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2016 05:33 PM (IST)
सियाचिन: नहाना मना है, शरीर पर ही जम जाएगा पानी

नई दिल्ली, जागरण डेस्क । सियाचिन में तैनात जवानों की क्षमता सुपरहीरो से कम नहीं होती। वे माइनस 50 डिग्री तापमान में मुस्तैद रहते हैं। परिस्थितियां ऐसी कि कोई भी भय से थर्रा जाए। जवान वहां नहा नहीं सकते क्योकि पानी डाला तो शरीर पर ही जम जाएगा, शारीरिक अभ्यास करते वक्त आया पसीना विश्रााम की मुद्रा में आते ही शरीर पर जम जाता है, दस्ताने उतार कर बर्तन से हाथ स्पर्श किया तो 'मेटल बाइट' से त्वचा उतरने लगती है।

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नाक, अंगुली, कान के निचले हिस्से( ईयरलॉब्स) और पंजों पर 'स्नोबाइट' और 'सनबाइट' डायन की तरह पंजा मारते हैं। सीजीआइ शीट से शौचालय का जुगाड़ होता है, उसमें भी देर की तो 'फ्रॉस्टबाइट' का खतरा। शरीर को गर्म रखने के लिए हीटर नहीं, केवल मिट्टी तेल के स्टोव हैं। तेल यदि बिखर गया तो त्वचा पर 'आयल बर्न' की आशंका हो जाती है। बर्फ से ढके अंधे गढ्डे किसी भी समय कब्र में बदल सकते हैं। हिमस्खलन बड़ी आपदा बन कर आता है।

मौसम की विषमताएं:

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अजा हासनेन विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में जीओसी के तौर पर तैनात रह चुके हैं। सियाचिन की मौसम संबंधी अनेक विषमताओं के बारे में उन्होंने जानकारी दी।

बर्फ के बैग के बंकर:

साल्टोरो रिज से लेकर सियाचिन तक भारतीय सेना की तैनाती है। सभी अधिकारियों, सैनिकों के लिए मुश्किलें एक जैसी हैं। बर्फ के बैगों से बंकर बनते हैं, एक स्नो बैग पर बैठने से शरीर का एक भाग सुन्न हो जाता है, शारीरिक अभ्यास से ही वह सामान्य होता है। सुबह शौचालय में बैठ कर अखबार पढ़ने की आदत है तो उसे भूल ही जाइये। वहां न शौचालय है, न अखबार।

नियमित दिनचर्या

मिट्टी तेल के कैन (जरीकन) पीठ पर लाद कर निचले स्थान से ऊपरी इलाके में ले जाना नियमित दिनचर्या में शामिल है। रात दो बजे सो कर दो घंटे में ही उठ कर माइनस 15 डिग्री तापमान वाली हट से माइनस 50 डिग्री वाले फील्ड में जा पहुंच जाता है जवान।

मतिभ्रम की स्थिति

भीषण सर्दी, बर्फीले तूफान के कारण मतिभ्रम की स्थिति बन जाती है, लगता है सामने से शत्रु सैनिक आ रहा है। इस क्षेत्र में सीजफायर मायने नहीं रखता, इसलिए दुश्मन को कोई अवसर नहीं दिया जा सकता क्योंकि एक बार यदि किसी चौकी पर शत्रु का कब्जा हो गया तो उसे वापस लेने के लिए कई जिंदगियों का बलिदान देना पड़ सकता है।

सेहत की सलामती जरूरी

स्वास्थ्य सलामत रखना सबसे जरूरी है, इसलिए नहाना चिकित्सकीय कारणों से प्रतिबंधित है। कई पोस्टों पर रस्सी से सीधी चढ़ाई करना जरूरी होता है।

ब्रांडेड सामान

सैनिकों के सामने खाने पीने की चीजों की जरा भी नहीं होती। ब्रांडेड कंपनियों के चॉकलेट, सूप, ड्राइ फ्रूट्स की भरमार होती है लेकिन गायब रहती है तो केवल भूख और नींद।

एक पोस्ट दो जवान

कुछ पोस्ट ऐसी हैं जहां दो जवान रह तो सकते हैं लेकिन एक बार में एक ही सो सकता है क्योंकि जगह रेलवे की थ्री टियर मिडिल क्लास बर्थ जितनी होती है। ऐसी एक चौकी में कम से कम 45 दिन तैनात रहना जरूरी होता है। यदि सैनिक के दांत में दर्द हो गया तो वहां डेंटिस्ट नहीं मिलेगा। इलाज के लिए हेलिकॉप्टर से ही जाना पड़ेगा। चिकित्सक सियाचिन भेजने से पहले जवानों के दांतों की पूरी तरह जांच करते हैं, दर्द वाले दांत का इलाज नहीं करते बल्कि उसे निकाल ही देते हैं।


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