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गुस्से में शिवपाल ने कहा, कुछ लोग अमर सिंह के पैरों के धूल के बराबर भी नहीं

मुलायम सिंह यादव की बुलाई बैठक में अखिलेश और शिवपाल यादव दोनों भावुक हुए लेकिन अपनी राजनीतिक मंशा जाहिर कर दी।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 11:12 AM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 01:47 PM (IST)
गुस्से में शिवपाल ने कहा, कुछ लोग अमर सिंह के पैरों के धूल के बराबर भी नहीं

नई दिल्ली(जेएनएन)। सियासत की लड़ाई कभी सीधी नहीं होती है। न जाने कितने मोहरों के जरिए एक दूसरे पर निशाना साधा जाता है।सत्ता में बने रहने के लिए भाई-भतीजावाद के लिए जगह नहीं होती है।ये सिर्फ कहावत नहीं है बल्कि हकीकत है। सदियों से गद्दी की लड़ाई में इन नियमों का पालन होता रहा है। समाजवादी पार्टी के संग्राम में कई चेहरे हैं जो एक दूसरे पर निशाना साध रहे थे। लेकिन इन सबके बीच एक शख्स जिस पर पार्टी के कद्दावर नेताओं की निगाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव पर टिकी थी। रामगोपाल और अमर सिंह के मुद्दे पर अखिलेश और शिवपाल खुलकर बोले। अखिलेश यादव ने जब कहा कि अमर सिंह की वजह से सबकुछ खत्म हो रहा है तो शिवपाल यादव ने कहा कि कुछ लोग अमर सिंह के पैरों के धूल के बराबर भी नहीं हैं। सिलसिलेवार हम ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि अखिलेश और शिवपाल यादव ने क्या कहा।

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अखिलेश यादव का अंदाज

आज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के सभी विधायकों विधान परिषद सदस्यों की एक बैठक बुलाई। बैठक में जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बोलना शुरु किया तो उनकी आवाज में तल्खी भी थी, तंज भी था, भावुकता भी थी और एक दृढ़ इरादा भी था। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में ही कहा कि उनके लिए कभी पद माएने नहीं रखता था। वो जनता की सेवा करने के लिए नेता जी के कहने पर ही राजनीति में आए।

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'साजिश और बदनाम करने की कोशिश'

2012 में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाली, लेकिन साजिश और उनको बदनाम करने का जो दाैर शुरू हुआ वो बदस्तूर जारी रहा। बहुत बार व्यक्तिगत आक्षेपों को सहन करते हुए भी आगे बढ़ते रहे। उन्होंने जो भी फैसले लिए उसमें कहीं न कहीं नेता जी की सहमति रहती थी।गायत्री प्रजापति हों, राजकिशोर सिंह को जब इन दोनों को हटाया गया तो उसके पीछे पुख्ता वजह थी। गायत्री प्रजापति तो कभी मुख्यमंत्री की गरिमा को समझते ही नहीं थे। प्रतिकुल परिस्थितियों के बावजूद हमने अपने कर्तव्यों को निर्वहन किया है। लेकिन जब पार्टी के बुनियादी सिद्धांतों के साथ समझौता किया गया तो वो बर्दाश्त से बाहर था।

'रामगोपाल की हिमायत में उतरे अखिलेश'

अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने तय कर लिया कि पार्टी के खिलाफ साजिश करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया ही जाएगा।वो नेता जी के अपमान को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि नई पार्टी बनाने के बारे में कभी नहीं सोचा। अमर सिंह पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एक शख्स की वजह से बहुत कुछ दांव पर लग गया लेकिन उसके लिए आप रामगोपाल को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। रामगोपाल ने कभी भी उनको बरगलाने की कोशिश नहीं की। लेकिन आज उनके नाम पर सियासत की जा रही है।

शिवपाल का अंदाज

सीएम अखिलेश यादव के संबोधन के तुंरत बाद शिवपाल यादव ने 1975 के उन प्रंसगों का जिक्र किया कि किस तरह से वो साइकिल पर सवार होकर नेताजी की चिठ्ठियों को गांव-गांव बांटा करते थे। शिवपाल यादव ने कहा कि जिस पार्टी को खून और पानी से सींचा हो उसे खत्म करने की बात वो नहीं सोच सकते हैं। राम गोपाल .यादव ने कहा कि वो गंगाजल और अपने बेटे की सौगंध खाकर कहते हैं कि अखिलेश यादव ने कहा था कि वो एक नई पार्टी बनाएंगे।

2012 में सरकार में आने के पहले जब अखिलेश यादव को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो उन्होंने खुले दिले से नेताजी के फैसले का स्वागत किया। मुख्यमंत्री बनाने की जब बात आयी तो खुले दिल से नेताजी के आदेश का सम्मान किया। लेकिन उन्हें बदले में क्या मिला। आज वो खुद को ठगा महसूस करते हैं। सच तो ये है कि उन्हें तिरस्कार और अपमान ही मिलता रहा।

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रामगोपाल का साधा निशाना

रामगोपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि एक शख्स जो जमीनों पर कब्जा करने में शामिल हो, भ्रष्टाचार में शामिल हो, पार्टी के अंदर साजिश करता हो, क्या उसे महत्व मिलना चाहिए। क्या हम एक ऐसे शख्स के पीछे चल सकते हैं जिसके पास 10 वोट हासिल करने की कुवत नहीं हो। लेकिन दुख है कि वो शख्स अपनी मनमर्जी करता है। अपने हिसाब से सीएम को निर्देशित करता रहता है। अगर ऐसे लोग हों तो पार्टी में रहने का कोई मतलब नहीं है।

अमर सिंह की तारीफ

अमर सिंह की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि हम उनके योगदान को कैसे भूल सकते हैं। संकट के समय वो पार्टी के साथ पूरी शिद्दत से जुड़े रहे। लेकिन कुछ लोगों को ये सब मंजूर नहीं था। अपने निहित मकसद को पूरा न होते देखकर वो अमर सिंह के विरोध पर उतर आए। उनके खिलाफ अनर्गल प्रलाप करते रहे। लेकिन दुख की बात ये थी कि सीएम इस सबसे अंजान बने रहे। सीएम ने ये जानने की कोशिश नहीं किया कि आखिर सच क्या है। शिवपाल यादव ने कहा कि छिपकर उन्होंने अमर सिंह से कभी मुलाकात नहीं की।

मुख्तार अंसारी का किया बचाव

मुख्तार अंसारी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कुछ लोग ये अफवाह फैलाते रहे कि उन्हें पार्टी में शामिल किया गया है। लेकिन सच सबको पता है कि मुख्तार अंसारी को कभी पार्टी में शामिल ही नहीं किया गया था। लेकिन सीएम साहब ये सच जानना ही नहीं चाहते थे।

'मेरा अपमान हो रहा'

शिवपाल यादव ने कहा कि उनको जलील किया गया। हालात ये बन गए कि अफसर उनकी बात नहीं सुनते थे। उनके विभाग के कामों की समीक्षा कराई जाती रही है। इस तरह के कार्यों से किस तरह के संदेश दिेए गए कि ये सबको पता है। वो नेता जी के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहे हैं, और आगे भी रहेंगे।

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