पटना में बोले 'बागी' शरद- JDU मेरी पार्टी, महागठबंधन जारी है
बिहार में एक ओर जहां सीएम आवास पर जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई, वहीं दूसरी ओर बागी गुट के नेता शरद यादव ने श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में सभा किया।
पटना [जेएनएन]। बिहार में शनिवार का दिन सियासी गलियारों में गहमा-गहमी का दिन रहा। एक ओर जहां सीएम आवास में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई, वहीं दूसरी ओर बागी गुट ने शरद यादव के नेतृत्व में श्रीकृष्ण मेमारियल हॉल में समानांतर सभा की गई।
महागठबंधन टूटने और बिहार में भाजपा के साथ सरकार बनाने से खफा जदयू के शरद यादव गुट ने शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में कार्यकारिणी की बैठक के समानांतर अलग जन अदालत लगाई। पूरे कार्यक्रम में सारे नेताओं ने जदयू पर शरद का अधिकार जताया और दूसरे गुट को सरकारी पार्टी बताया।
शरद ने भी नीतीश का नाम लेने से परहेज किया और अपने समर्थकों से भी ऐसा ही आग्रह किया। इशारों में शरद ने नीतीश कुमार के लिए भविष्यवाणी करते हुए कहा कि महागठबंधन तोडऩे वालों को जनता माफ नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री आवास पर जदयू कार्यकारिणी की बैठक से अलग श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य अली अनवर, पूर्व मंत्री रमई राम एवं पूर्व सांसद अर्जुन राय समेत कई नेता शरद के साथ थे। कार्यक्रम शुरू होने से पहले बिहार के बाढ़ पीडि़तों, गोरखपुर में आक्सीजन के अभाव में मरने वाले बच्चों एवं जदयू से निकाले गए साथियों के लिए संवेदना व्यक्त की गई।
राज्यसभा में जदयू के नेता पद से हटाए गए शरद ने जनादेश से इतर रास्ता बदलने का इल्जाम नीतीश कुमार पर लगाया और कहा कि उन्होंने अपनी राह बदली है, मैंने नहीं। आने वाले समय में बिहार की जनता बताएगी कि किसकी राह सही है। खचाखच भरे हॉल में संबोधन के दौरान शरद का दर्द भी झलकता रहा।
उन्होंने कहा कि जदयू को बड़ी मेहनत से खड़ा किया है। जिस घर को मैंने बनाया आज उसी से मुझे बेदखल किया जा रहा है। लोग कह रहे हैं कि यह घर अब मेरा नहीं है। भाजपा के साथ सरकार बनाने को शरद ने जनादेश का अपमान बताया और कहा कि बिहार की जनता ने भाजपा के विजय रथ को रोकते हुए पूरे पांच वर्षों के लिए महागठबंधन को चुना था, लेकिन इसे बीच में ही तोड़ दिया गया। यह जनादेश का अनादर है। शरद ने कहा कि जब एनडीए को तोड़ा जा रहा था, तब भी उन्हें दुख हुआ था। उसे भी बचाने की कोशिश की थी।
राज्यसभा सदस्य अली अनवर ने कहा कि कुछ महीने पहले जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री के प्रतिद्वंद्वी बताए जा रहे थे, वे आज कहां हैं? कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व मंत्री रमई राम ने कहा कि देश में अभी दो धाराएं हैं। एक मोहन भागवत की और दूसरा अंबेडकर की। रमई ने अपने समर्थकों से अंबेडकर का अनुसरण करने की अपील की।
कार्यक्रम को पूर्व मंत्री परवीन अमानुल्लाह, अर्जुन राय, रामधनी सिंह, रामदेव यादव, प्रो, ताजुद्दीन मंसूरी, विजय कुमार वर्मा, अरुण श्रीवास्तव, प्रो. रतन लाल, परमेश्वरी प्रसाद निराला, पूर्व सांसद राजवंशी महतो एवं जदयू के सहरसा जिलाध्यक्ष धनिक लाल मुखिया ने भी संबोधित किया।
महागठबंधन का साथ छोड़ नीतीश कुमार के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही शरद नाराज चल रहे हैं। उनके साथ पूर्व मंत्री रमई राम और राज्यसभा सांसद अली अनवर ने भी नीतीश कुमार के इस कदम की खुलकर आलोचला की। नीतीश के समर्थकों द्वारा इन्हें बागी तक करार दे दिया गया।
जदयू में शुरू हुए कलह के बाद दोनों गुट खुद को असली और दूसरे को नकली साबित करने में जुट गये हैं। शरद गुट की नजर अब पार्टी के सिंबल यानी तीर पर है। नीतीश को उनके घर में टक्कर देने के बाद शरद गुट पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा करने के लिए जल्द ही चुनाव आयोग का भी रुख करेगा। पटना की सड़कें पर भी असली और नकली जेडीयू को लेकर पोस्टर वार शुरू हो चुकी है।
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वहीं, दूसरी ओर नीतीश कुमार ने शरद यादव को खुलेआम चुनौति देते हुए कहा कि पार्टी तोड़कर दिखायें। पार्टी को तोड़ने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है। सभी विधायक, विधान पार्षद और सांसद हमारे साथ हैं। क्या वे लालू के सहारे जदयू को तोड़ने का ख्वाब देख्ा रहे हैं।
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नीतीश कुमार ने शरद यादव को नसीहत देते हुए कहा कि जब वे लोकसभा चुनाव हार गये थे तो हमने उन्हें भाजपा के वोट पर राज्यसभा भेजा। जब उन्हें पहली बार राज्यसभा भेजने का प्रस्ताव रखा गया था तो जार्ज फर्नांडिस जी ने ऐतराज जताया था। लेकिन मेरे कहने के बाद वे मान गये थे। हमने शरद यादव को दो बार राज्यसभा भेजा और आज वे मेरे खिलाफ ही आवाज उठा रहे हैं।
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इससे पहले जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि शरद जी भ्रष्ट्राचार और परिवारवाद के जनक के साथ चले गए हैं। अब वे लालू के साथ खड़े होकर शरद अपनी गरिमा खत्म करेंगे। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी सवाल उठाये थे। काफी समय से वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे, इसलिए उन्हें राज्यसभा में नेता पद से हटाना जरूरी हो गया था। यदि वे 27 अगस्त को लालू यादव के साथ मंच पर आते हैं तो पार्टी उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।
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