फिर से चर्चा में आया 'शाह मैनेजमेंट'
शाह अब उत्तर प्रदेश के माइक्रो मैनेजमेंट में जुट गए हैैं। केशव प्रसाद मौर्य को अध्यक्ष नियुक्त कर पहला कदम बढ़ाया गया है।
नई दिल्ली,आशुतोष झा। जम्मू-कश्मीर के बाद असम में सरकार गठन ने भाजपा के अंदर भी बहुत सारे समीकरण बदल दिए हैैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का माइक्रो मैनेजमेंट जहां फिर से चर्चा में है वहीं ऐसे कुछ नेता व कार्यकर्ता भी सुर्खियों में हैैं जो इस दौरान शाह के हाथ-पैर के रूप मे काम करते रहे। ऐसे में उत्तर प्रदेश को लेकर तैयारी तेज हो गई है। मंत्रियों व विधायकों के साथ साथ छोटे बड़े शिक्षण संस्थानों व धार्मिक स्थलों को लेकर भी आंकड़े जुटाए जाने लगे हैैं। वहीं कांग्र्रेस की ओर से अगड़ी जाति का कार्ड फेंकने की संभावना को लेकर भी रणनीति पर चर्चा शुरू हो गई है।
यूं तो जम्मू-कश्मीर में सत्ता में आना ही भाजपा के लिए ऐतिहासिक घटना थी, असम में कुछ ऐसे विधानसभा क्षेत्रों में भी भाजपा ने जीत दर्ज की जहां मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आबादी 70 फीसद के भी उपर थी। कुछ उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी फार्मूला अपनाया जाएगा। विकास की ललक और तत्कालीन गोगोई सरकार के खिलाफ सत्ताविरोधी लहर ने तो काम किया ही होगा, सूत्र बताते हैैं कि राजनीतिक रूप से कठिन असम प्रदेश में शाह का माइक्रो मैनेजमेंट काम आया और उनके सिपहसालार के रूप में संभवत: कांग्र्रेस छोड़कर भाजपा में आए हेमंत बिश्व शर्मा ने काम किया।
सूत्र बताते हैैं कि दोनों नेताओं के बीच विश्वास का आधार पहले ही दिन पैदा हो गया था जब कांग्र्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इनकार से नाराज होकर विश्व शर्मा शाह के आवास पर पहुंचे थे। सूत्र बताते हैैं कि शाह ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करने से पहले ही यह सुझाव दिया था कि संवेदनशीलता और ठंढे दिमाग से फैसला करें।
शाह का मैनेजमेंट कुछ ऐसा था कि वह दिल्ली से ही हर सीट के बाबत बिश्वा शर्मा को निर्देश देते और वह दूसरे दिन तक वह काम पूरा कर रिपोर्ट देते। बताते हैैं कि शाह ने लगभग 30 सीटों को लेकर शर्मा को कुछ विशेष निर्देश दिया था और चुनाव बाद उन्होंने यह रिपोर्ट दी थी कि उनमें से 24 सीटें भाजपा जीत सकती है। नतीजा आया तो भाजपा के खाते में उनमें से 23 सीटें थीं। शाह अब उत्तर प्रदेश के माइक्रो मैनेजमेंट में जुट गए हैैं। केशव प्रसाद मौर्य को अध्यक्ष नियुक्त कर पहला कदम बढ़ाया गया है।