अफजल व बट की फांसी की बरसी से पहले घाटी में तनाव
कश्मीर में अलगाववादियों ने मंगलवार से तीन दिवसीय बंद बुलाया है। इन प्रदर्शनों और बंद को लेकर अलगाववादियों को नजरबंद कर दिया गया है, वहीं यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया है।
श्रीनगर। संसद हमले के दोषी अफजल गुरू की बरसी पर मंगलवार को कश्मीर घाटी में हड़ताल, निषेधाज्ञा और हिंसक प्रदर्शनों से सामान्य जनजीवन कुप्रभावित रहा। कई इलाकों में पुलिस और अलगाववादी समर्थकों के बीच हुई झड़पों में सात लोग जख्मी हो गए। अफजल गुरु को साल 2013 को नौ फरवरी के दिन ही तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया गया था। इसी के विरोध में ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस समेत सभी अलगाववादी संगठनों और विभिन्न आतंकी संगठनों ने कश्मीर बंद का आह्वान करते हुए लोगों से भारत विरोधी प्रदर्शनों का आह्वान किया था।
प्रशासन ने स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए वादी के सभी प्रमुख अलगाववादियों को हिरासत में लेने के अलावा कई को उनके घरों में नजरबंद कर दिया था। इसके अलावा श्रीनगर शहर के सात थाना क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू कर दी थी।सुबह सवेरे ही वादी के विभिन्न हिस्सों में हड़ताल का असर नजर आने लगा। प्रशासन ने भी कई इलाकों में आने-जाने के रास्तों को कंटीली तारों से बंद कर दिया था। सभी संवेदनशील इलाकों में पुलिस और अर्द्धसैनिकबलों की अतिरिक्त टुकडि़यों को तैनात किया गया था।
हालांकि आतंकी तो अपनी उपस्थिति का अहसास नहीं करा पाए, लेकिन डाउन-टाउन के गोजवारा व उनके साथ सटे इलाकों और गुरू के पैतृक कस्बे सोपोर व दोबगाह में बड़ी संख्या में लोग नारेबाजी करते हुए सड़कों पर निकल आए। ये लोग आजादी समर्थक नारेबाजी करते हुए गुरू के अवशेष सौंपे जाने की मांग कर रहे थे। पुलिस द्वारा रोके जाने पर उन्होंने पथराव शुरू कर दिया। स्थिति को काबू करने के लिए पुलिस को भी लाठियों के साथ आंसूगैस का सहारा लेना पड़ा। इन इलाकों में दिनभर हुई हिंसक झड़पों में सात लोग जख्मी हुए, लेकिन पुलिस ने किसी के घायल होने से इन्कार किया है।