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सेबी ने रिलायंस पर एक साल की पाबंदी लगाई

मुकेश अंबानी की कंपनी पर फ्यूचर और ऑप्शंस (एफएंडओ) कारोबार में धोखाधड़ी के दस साल पुराने मामले में यह कार्रवाई की गई है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 10:06 PM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 01:20 AM (IST)
सेबी ने रिलायंस पर एक  साल की पाबंदी लगाई
सेबी ने रिलायंस पर एक साल की पाबंदी लगाई

नई दिल्ली, प्रेट्र : पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआइएल) पर एक साल के लिए इक्विटी वायदा कारोबार करने पर रोक लगा दी। रिलायंस के अलावा 12 अन्य पर भी नियामक ने प्रतिबंध की यह गाज गिराई है। मुकेश अंबानी की कंपनी पर फ्यूचर और ऑप्शंस (एफएंडओ) कारोबार में धोखाधड़ी के दस साल पुराने मामले में यह कार्रवाई की गई है।

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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कंपनी को 1,000 रुपये जुर्माने और ब्याज के रूप में भी चुकाने का आदेश दिया है। रिलायंस ने कहा है कि वह इस आदेश को चुनौती देगी।यह मामला आरआइएल की सहयोगी कंपनी रिलायंस पेट्रोलियम से जुड़ा है। इस मामले में रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों में एफएंडओ सेगमेंट में कारोबार करते समय कथित तौर पर धोखाधड़ी की गई थी।

शेयर बाजार में लिस्टेड रही इस कंपनी को बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज में ही मिला दिया गया था। आरआइएल ने इससे पहले मामले का सहमति से निपटारा करने की अर्जी दी थी, मगर सेबी ने कंपनी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। पिछले कुछ महीनों के दौरान ही इस दस साल पुराने मामले में कानूनी कार्यवाही की प्रक्रिया में तेजी आई थी।इसी मामले में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य जी महालिंगम ने 54 पन्ने का आदेश जारी किया है।

इसमें रिलायंस को 447 करोड़ रुपये की मूल राशि और उस पर 29 नवंबर, 2007 से अब तक 12 प्रतिशत की दर से करीब 500 करोड़ रुपये बतौर ब्याज चुकाने को कहा गया है। इस हिसाब से कंपनी को कुल करीब 1,000 करोड़ रुपये भरने होंगे। कंपनी को यह राशि 45 दिनों के भीतर चुकानी होगी। महालिंगम ने कहा है कि जिस तरह इतने बड़े पैमाने पर बाजारों में धोखाधड़ी वाला कारोबार किया गया है, उसे देखते हुए ही कड़ी कार्रवाई की गई है।

प्रतिबंध की अन्य शिकार

अन्य 12 फर्मो में गुजरात पेटकोक एंड पेट्रो प्रोडक्ट सप्लाई, आर्थिक कॉमर्शियल्स, एलपीजी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया, रेलपोल प्लास्टिक प्रोडक्ट्स, पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया, मोटेक सॉफ्टवेयर, दर्शन सिक्योरिटीज वगैरह शामिल हैं।-


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