आईआईटी सीटें बढ़ा कर की जाएंगी एक लाख
आईआईटी के विभिन्न पाठ्यक्रमों में अब ज्यादा से ज्यादा छात्रों को मौका मिल सकेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आइआइटी के विभिन्न पाठ्यक्रमों में अब ज्यादा से ज्यादा छात्रों को मौका मिल सकेगा। तय किया गया है कि अगले चार साल में आइआइटी को प्रत्येक वर्ष एक लाख छात्रों का दाखिला लेने लायक बनाया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों की कमी को तेजी से दूर करने को कहा गया है। इसी तरह इन संस्थानों के इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए जल्द ही छात्रों को एप्टीट्यूड टेस्ट से भी गुजरना होगा।
मंगलवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की मौजूदगी में हुई आइआइटी परिषद की बैठक में यह फैसला किया गया। इसमें तय किया गया है कि आइआइटी में दाखिले के लिए छात्रावास में रहने की अनिवार्यता को खत्म किया जाएगा। इससे इन संस्थानों में छात्रों की संख्या को बढ़ाया जा सकेगा। हालांकि जावड़ेकर ने कहा कि इस संबंध में कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। मगर बैठक के दौरान सभी आइआइटी को कहा गया है कि अगले चार साल के दौरान इसे एक लाख तक पहुंचा देना है।
बैठक में मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि आइआइटी में अध्यापकों की संख्या पहले से ही बहुत कम है। इस वजह से जहां छात्रों का औसत प्रत्येक दस छात्र पर एक अध्यापक का होना चाहिए, वहीं यह अभी लगभग 15 छात्रों पर एक अध्यापक है। लेकिन इस कमी को दूर करने के लिए किसी नई मंजूरी या योजना लाने की जरूरत नहीं है। इसलिए सभी संस्थानों को कहा गया है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जो भी जरूरी कदम हैं, उन्हें चिह्नित कर तत्काल उस पर काम शुरू कर दें। यह भी कहा गया कि अगर छात्रों को हॉस्टल में रहने की अनिवार्यता खत्म कर दी जाती है तो पीएचडी जैसे पाठ्यक्रमों के शादीशुदा छात्रों को अपने परिवार के साथ रहने का भी मौका मिल सकेगा।
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बैठक के दौरान इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में दाखिला के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई। हालांकि इसे कब तक करना है और किस तरह करना है, इसको लेकर अभी ब्योरे तय नहीं हुए हैं। अधिकारी का कहना है कि इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि इंजीनियरिंग की सीट उसी छात्र को मिले, जो वास्तव में इसमें अभिरुचि रखता हो। अभी बड़ी संख्या में छात्र इंजीनियरिंग कर दूसरे क्षेत्रों में चले जाते हैं।
बैठक के दौरान उद्योग जगत के साथ मिल कर इंप्रिंट इनीशिएटिव को आगे बढ़ाने पर भी सहमति हुई। इसके तहत दस प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में काम होगा। इसी तरह कुछ आइआइटी को अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में जगह दिलाने के लिए विशेष तौर पर काम किया जाएगा। जावड़ेकर ने यह भी बताया कि उच्चतर आविष्कार योजना के तहत 280 करोड़ रुपये की लागत से 92 प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं। साथ ही ज्ञान योजना के तहत अब तक विदेश से 260 अध्यापक भारतीय संस्थानों में लेक्चर देने आए हैं।
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