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विद्यालय की स्थापना कर विकलांगों को दी नई उम्मीद

ज्योति बधिर विद्यालय में पढ़ रहे उसके सरीखे कई ‘नगीनों’ ने प्रतिभा की ऐसी चमक बिखेरी कि लोग उनकी काबिलियत के कायल हो गए।

By Srishti VermaEdited By: Published: Thu, 24 Aug 2017 09:39 AM (IST)Updated: Fri, 25 Aug 2017 09:47 AM (IST)
विद्यालय की स्थापना कर विकलांगों को दी नई उम्मीद
विद्यालय की स्थापना कर विकलांगों को दी नई उम्मीद

कानपुर (समीर दीक्षित)। कन्नौज स्थित इलाहाबाद बैंक में सीनियर मैनेजर किदवई नगर निवासी उमेश मिश्र की बेटी हाईस्कूल छात्रा प्रणम्या सुन नहीं सकती है। 2006 में ज्योति बधिर विद्यालय बिठूर कला के बारे में पता चला तो वहां बेटी का दाखिला कराया। वहां उसने पढ़ाई संग खेलकूद में मेधा दिखाई। हैदराबाद में बीते वर्ष हुई भाला फेंक व दौड़ की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में आत्मविश्वास से हिस्सा लिया। प्रणम्या तो महज एक उदाहरण है। ज्योति बधिर विद्यालय में पढ़ रहे उसके सरीखे कई ‘नगीनों’ ने प्रतिभा की ऐसी चमक बिखेरी कि लोग उनकी काबिलियत के कायल हो गए।

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उनकी इस क्षमता को तराशने की पहल की थी नॉर्थ वेस्ट यूनिवर्सिटी शिकागो में प्रोफेसर इन बॉयोकेमेस्ट्री रहे डॉ सरयूनारायण दीक्षित ने। वह बसे भले ही अमेरिका में थे पर दिल में हिंदुस्तान ही बसा था। जरूरतमंद बच्चों की मदद को विद्यालय की स्थापना कर इन प्रतिभाओं को चमकाया। इन बच्चों ने उनके भरोसे को बरकरार रखा और मेहनत के बूते अपनी कामयाबी का डंका राष्ट्रीय क्षितिज पर बजाया। मूलत: काकादेव निवासी डॉ दीक्षित भले ही दुनिया में नहीं हैं पर उन्होंने जरूरतमंदों की मदद की जो मशाल जलाई, उससे दर्जनों बच्चों का भविष्य चमक रहा है।

डॉ दीक्षित ने 27 वर्ष पूर्व शहर के दिव्यांग बच्चों के हुनर के चर्चे सुने तो उन्हें और निखारने के लिए बिठूर कला में विद्यालय की स्थापना की। ज्योति बालक विकास संस्था के बैनर तले वर्ष 1990 में जब विद्यालय शुरू हुआ तो सिर्फ दो दिव्यांग बच्चे आए पर आज विद्यालय में प्री- प्राइमरी से इंटरमीडिएट तक के बच्चों की संख्या करीब 180 है। विद्यालय में पढ़ाई संग ये दिव्यांग बच्चे गीत-संगीत सीखते हैं। विविध खेलों में प्रदर्शन कर लोगों का दिल भी जीत चुके हैं।

इनका मिलता प्रशिक्षण: बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने को हर शनिवार को जूते, पर्स, पंखा बनाना आदि सिखाया
जाता है।

लूप इंडक्शन विधि से करते पढ़ाई: बच्चों की पढ़ाई के लिए विद्यालय में लूप इंडक्शन विधि प्रयोग होती है।
आशीष दीक्षित ने बताया कि लूपइंडक्शन विधि से जो शब्द बोले जाते हैं, वे बधिर बच्चों को साफ सुनाई देते हैं।

संस्था सदस्य करते मदद: ज्योति बालक विकास संस्था के सचिव आरसी दीक्षित ने बताया कि संस्था के 10 से अधिक सदस्य बच्चों के लिए मदद करते हैं।

-अमेरिका में बसे डॉ दीक्षित ने ज्योति बधिर विद्यालय बनाकर की थी दिव्यांग बच्चों की प्रतिभा तराशने की पहल
-दो बच्चों से शुरू इस विद्यालय में 180 बच्चे राष्ट्रीय क्षितिज पर बजा रहे कामयाबी का डंका

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