मोदी सरकार का एक अौर अहम कदम, प्रतिभा पलायन रोकने की कवायद शुरू
वज्र योजना के तहत एनआरआई वैज्ञानिक भारतीय शोध संस्थानों में तीन महीने तक सेवा दे सकेंगे।
नई दिल्ली (पीटीआई)। देश से प्रतिभा पलायन (ब्रेन ड्रेन) की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार ने अहम कदम उठाया है। उसने विदेश में कार्यरत एनआरआइ वैज्ञानिकों के लिए शोध संस्थानों का द्वार खोलने वाली योजना वज्र गुरुवार को लागू कर दिया।
योजना के तहत ये वैज्ञानिक उपरोक्त संस्थानों में एक से लेकर तीन महीने तक अपनी सेवाएं दे सकते हैं। इसके एवज में सरकार इन्हें तनख्वाह के रूप में पहले महीने 15 हजार अमेरिकी डॉलर (9,68,996 रुपये) प्रदान करेगी। बाकी दो महीनों में वैज्ञानिकों को दस-दस हजार अमेरिकी डॉलर (6,46,096 रुपये) मिलेंगे।
केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीक मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विजिटिंग एडवांस्ड ज्वाइंट रिसर्च (वज्र) योजना लागू किए जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया, 'वैसे तो यह योजना विदेशी वैज्ञानिकों एवं शिक्षाविदों के लिए है, लेकिन सारा जोर एनआरआइ और भारतीय मूल के वैज्ञानिकों पर है। इन्हें सरकारी शोध एवं शिक्षण संस्थानों में काम करने की पेशकश की गई है।'
बकौल हर्षवर्धन, 'मोदी सरकार को लेकर विदेश में बसे भारतीय वैज्ञानिकों में नई उम्मीद जगी है। एनआरआइ व भारतीय मूल के वैज्ञानिकों को आशा है कि देश में उन्हें उच्चस्तरीय सुविधा और काम करने का उपयुक्त माहौल मिलेगा।' सरकार ने फिलहाल वज्र योजना के तहत एक हजार एनआरआइ वैज्ञानिकों को ही शामिल किया है।