10 साल की रेप पीड़िता को SC ने इस कारण नहीं दी गर्भपात की इजाजत
बच्ची के गर्भवती होने का पता तब चला, जब उसके पेट में दर्द हुआ और उसे अस्पताल ले जाया गया। कई बार उसके साथ यह कुकृत्य किया गया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दस वर्ष की दुष्कर्म पीडि़ता बच्चे को जन्म देगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पीजीआइ चंडीगड़ के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट देखने के बाद पीडि़त बच्ची के गर्भपात की इजाजत देने से इन्कार कर दिया। मेडिकल बोर्ड ने रिपोर्ट में गर्भपात को बच्ची और गर्भ दोनों के लिए खतरा बताया था। बच्ची 32 सप्ताह की गर्भवती है। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दुष्कर्म पीडि़ता बच्ची के गर्भपात का आदेश मांगने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है।
चंडीगड़ जिला अदालत पहले ही बच्ची के गर्भपात की इजाजत मांगने वाली माता पिता की अर्जी खारिज कर चुका है। बात ये है कि कानून 20 सप्ताह के बाद गर्भपात की इजाजत नहीं देता। 20 सप्ताह के बाद सिर्फ विशेष परिस्थितियों में जबकि उस गर्भ के बना रहने से मां या बच्चे की जान को खतरा हो तभी गर्भपात की इजाजत दी जा सकती है। दुष्कर्म पीडि़ता बच्ची के गर्भपात की इजाजत मांगने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गत 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड गठित कर बच्ची और उसके गर्भ की सेहत जांचने और रिपोर्ट देने का आदेश दिया था।
शुक्रवार को रिपोर्ट देखने के बाद गर्भपात की इजाजत देने से इन्कार कर दिया। लेकिन कहा कि पीडि़ता को सबसे अच्छी मेडिकल सहायता दी जाए और डाक्टरों को उसकी सेहत का आंकलन करने के बाद डिलीवरी कराने के सबसे अच्छे तरीके (बेस्ट आपरेटिंग मोड) अपनाने की छूट होगी। इसके अलावा कोर्ट ने अदालत में मौजूद सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि इस तरह के बहुत मामले कोर्ट आ रहे हैं। ऐसे मामलों में जल्दी निर्णय के लिए सरकार याचिका में दिये गये, हर राज्य में स्थायी मेडिकल बोर्ड बनाने के सुझाव पर विचार करे ताकि शुरुआत में ही पीडि़ता को वहां ले जाया जाये। पीठ ने कहा कि कोर्ट के पास इस बारे में निर्णय लेने के लिए बहुत कम समय होता है।
क्या है मामला
याचिका के मुताबिक दस वर्ष की पीडि़ता से उसके मामा ने करीब सात महीने तक दुष्कर्म किया। पेट में दर्द की शिकायत पर जब बच्ची डाक्टर के पास गई तब 26 सप्ताह के गर्भ का पता चला। पुलिस में शिकायत की गई आरोपी फिलहाल जेल में है। बच्ची के माता पिता ने गर्भपात की इजाजत मांगते हुए जिला अदालत में अर्जी दी थी लेकिन अदालत ने गत 18 जुलाई को अर्जी खारिज कर दी। जिसके बाद एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर गर्भपात की इजाजत मांगी थी।
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