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याकूब मेमन की याचिका पर अब बड़ी पीठ करेगी सुनवाई

1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। मौत की सजा पाए याकूब मेमन की फांसी पर उठा विवाद सुप्रीम कोर्ट में भी नजर आया। याकूब मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के दो जजों के बीच फांसी को

By vivek pandeyEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2015 09:11 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2015 03:40 PM (IST)
याकूब मेमन की याचिका पर अब बड़ी पीठ करेगी सुनवाई

नई दिल्ली। 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। मौत की सजा पाए याकूब मेमन की फांसी पर उठा विवाद सुप्रीम कोर्ट में भी नजर आया। याकूब मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के दो जजों के बीच फांसी को लेकर मतभेद साफ नजर आया। इसलिए याचिका को बड़ी खंडपीठ के हवाले करने का निर्णय लिया गया।

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रहे जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने याकूब की भूल-सुधार याचिका की सुनवाई पर ही सवाल खड़ा कर दिया। नियम का हवाला देते हुए जस्टिस जोसेफ ने कहा कि याकूब की भूल-सुधार याचिका की सुनवाई में कमी नजर आ रही है। वहीं सुनवाई कर रहे दूसरे जज जस्टिस एआर दवे ने कहा कि अब इस मामले में कुछ नहीं बचा है।

जस्टिस एआर दवे ने कहा कि याकूब का याचिका खारिज होनी चाहिए जबकि जस्टिन कुरियन जोसेफ ने कहा कि याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई में कुछ त्रुटियां हैं इसलिए दोबारा सुनवाई होनी चाहिए।

याकूब को फांसी का मामला अब चीफ जस्टिस को भेजा जाएगा। चीफ जस्टिस इस पर बड़ी बेंच का गठन करेंगे। अटॉर्नी जनरल चीफ जस्टिस से जल्द से जल्द बड़ी बेंच गठित करने की गुजारिश करेंगे ताकि कल ही मामले की सुनवाई हो सके।

जस्टिस एआर दवे ने कहा कि याकूब को निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा दी है। फिलहाल उसकी एक दया याचिका महाराष्ट्र के गवर्नर के पास लंबित है। इसके बाद उसकी फांसी का रास्ता साफ हो जाता है।

गौरतलब है कि याकूब मेमन की 9 अप्रैल को पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद डेथ वारंट जारी किया गया जबकि पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी। याकूब का कहना है कि याचिका पर सुनवाई से पहले डेथ वारंट जारी करना गैरकानूनी है, नियमों और कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके लिए 27 मई 2015 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला दिया गया है। इसके लिए शबनम जजमेंट का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया कि डेथ वारंट सारे कानूनी उपचार पूरे होने के बाद जारी होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने शबनम और उसके प्रेमी का डेथ वारंट को रद किया था। कोर्ट ने दोनों की फांसी को 15 मई को बरकरार रखा था और छह दिनों के भीतर 21 मई को डेथ वारंट जारी हुआ था। 27 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस डेथ वारंट को रद्द कर दिया था।

2010 में अपने परिवार के सात लोगों की हत्या में फांसी की सजायाफ्ता शबनम और सलीम पुनर्विचार, क्यूरेटिव और दया याचिका से पहले ही डेथ वारंट जारी कर दिया गया था।


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