कश्मीर बाढ़: राहत कार्यों को आचार संहिता से छूट देने के पक्ष में कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट जम्मू कश्मीर में बाढ़ पीडि़तों को बगैर किसी रुकावट के राहत सामग्री दिलाने के लिए चुनाव आचार संहिता में छूट दिए जाने के पक्ष में है। शुक्रवार को कोर्ट ने इस बावत आचार संहिता में छूट दिए जाने पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश एचएल
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट जम्मू कश्मीर में बाढ़ पीडि़तों को बगैर किसी रुकावट के राहत सामग्री दिलाने के लिए चुनाव आचार संहिता में छूट दिए जाने के पक्ष में है। शुक्रवार को कोर्ट ने इस बावत आचार संहिता में छूट दिए जाने पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू कश्मीर बाढ़ पीडि़तों को राहत और मदद दिलाए जाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए।
मामले पर सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता के वकील भीम सिंह ने कहा कि राज्य में चुनाव घोषित हो गए हैं और आदर्श आचार संहिता राहत कार्यों के आड़े आ रही है। उन्होंने कहा कि कश्मीर बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए। इन दलीलों पर पीठ ने कहा कि उनकी चिंताओं को समझ रहे हैं लेकिन उनके भी हाथ बंधे हैं। क्या ऐसी परिस्थितियों में कोर्ट कह सकता है कि आचार संहिता को नजर अंदाज करके राहत कार्य जारी रखो। पीठ ने मामले में बहस कर रहे नेशनल पैैंथर पार्टी के अध्यक्ष भीम सिंह से कहा कि सभी राजनैतिक दल चुनाव आयोग के पास जाकर कह सकते हैं कि लोग अभी परेशान हैं फिलहाल चुनाव टाल दिए जाएं। पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह मामले में चुनाव आयोग को पक्षकार बनाए। कोर्ट आयोग से कहेगा कि वह आचार संहिता में छूट दे ताकि राहत सामग्री का बंटना जारी रहे।
उमर सरकार पर उठाए सवाल
इस बीच कोर्ट ने राज्य के हालात पर कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट देखकर चिंता जताई। पीठ ने पीडि़तों को पर्याप्त राहत न पहुंचने की रिपोर्ट पर जम्मू-कश्मीर की उमर अब्दुल्ला सरकार पर सवाल उठाए। पीठ ने कहा कि क्या कोर्ट के आदेश पर सरकार इसी तरह बाढ़ पीडि़तों को राहत पहुंचा रही हैै। रिपोर्ट के मुताबिक सभी पीडि़तों को पर्याप्त राहत सामग्री नहीं मिली है विशेषतौर पर श्रीनगर, ऊधमपुर और राजौरी जिले में। कमेटी में रिपोर्ट में डॉक्टरों की कमी होने की बात भी कही गई है। सुप्रीम कोर्ट ने गत 24 सितंबर को बाढ़ पीडि़तों को दी जा रही राहत मदद का जायजा लेने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कमेटी ने अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कोर्ट ने रिपोर्ट पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
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'चुनाव अधिसूचना जारी हो गई है। अब हांथ बंध गए हैैं। सभी राजनैतिक दल चुनाव आयोग के पास जाकर कह सकते हैं कि लोग अभी परेशान हैैं लिहाजा फिलहाल चुनाव टाल दिए जाएं। हम चुनाव आयोग से कहेंगे कि वह चुनाव आचार संहिता में थोड़ी छूट दे और राहत सामग्र्री बांटने की इजाजत दे।Ó
-शीर्ष न्यायालय की टिप्पणी